Menu
blogid : 7629 postid : 732246

एक अप्सरा के पुत्र थे हनुमान पर फिर भी लोग उन्हें वानरी की संतान कहते हैं….जानिए पुराणों में छिपे इस अद्भुत रहस्य को

हिंदू धर्म ग्रंथों में 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र किया गया है, जिनकी अलग-अलग महिमा और भिन्न-भिन्न आदर्श हैं. इन्हीं देवी-देवताओं में से एक हैं राम भक्त, पवनपुत्र हनुमान, जिनका आज जन्मदिन है. अंजना और केसरी के लाल हनुमान के जन्मदिन को हिंदू धर्म के अनुयायी हनुमान जयंती के रूप में बड़े धूमधाम से मनाते हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से जुड़ी रामायण, जो हिन्दुओं का एक पवित्र ग्रंथ है, में हनुमान को भी एक अभिन्न हिस्से के रूप में पेश किया गया है, इसलिए इनसे संबंधित घटनाओं, शिव के अवतार के रूप में इनका जन्म और बालपन में इनकी अठखेलियों के बारे में आपने कई बार सुना या पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको उनकी मां अंजना और उनके पिता की मुलाकात कैसे हुई, कैसे हनुमान शिव के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए इससे संबंधित पुराणों में लिखी एक बड़ी रहस्यमय घटना से अवगत करवाने जा रहे हैं.



hanuma1


हनुमान का जन्म कैसे हुआ, ये जानने के लिए पहले हम उनके माता-पिता के विवाह की भेंट कैसे हुई इस बारे में जान लेते हैं. हनुमान के जन्म की दैवीय घटना की शुरुआत होती है ब्रह्मा, जिनके हाथ में पृथ्वी के सृजन की कमान है, के दरबार से.  स्वर्ग में स्थित उनके महल में हजारों सेविकाएं थीं, जिनमें से एक थीं अंजना. अंजना की सेवा से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा.


अंजना ने हिचकिचाते हुए उनसे कहा कि उन पर एक तपस्वी साधु का श्राप है, अगर हो सके तो उन्हें उससे मुक्ति दिलवा दें. ब्रह्मा ने उनसे कहा कि वह उस श्राप के बारे में बताएं, क्या पता वह उस श्राप से उन्हें मुक्ति दिलवा दें.


वो अपनी दुनिया में इंसानों को आने नहीं देते, जानिए उन स्थानों के बारे में जहां इंसानों को जाने की मनाही है


अंजना ने उन्हें अपनी कहानी सुनानी शुरू की. अंजना ने कहा ‘बालपन में जब मैं खेल रही थी तो मैंने एक वानर को तपस्या करते देखा, मेरे लिए यह एक बड़ी आश्चर्य वाली घटना थी, इसलिए मैंने उस तपस्वी वानर पर फल फेंकने शुरू कर दिए. बस यही मेरी गलती थी क्योंकि वह कोई आम वानर नहीं बल्कि एक तपस्वी साधु थे. मैंने उनकी तपस्या भंग कर दी और क्रोधित होकर उन्होंने मुझे श्राप दे दिया कि जब भी मुझे किसी से प्रेम होगा तो मैं वानर बन जाऊंगी. मेरे बहुत गिड़गिड़ाने और माफी मांगने पर उस साधु ने कहा कि मेरा चेहरा वानर होने के बावजूद उस व्यक्ति का प्रेम मेरी तरफ कम नहीं होगा’.




अपनी कहानी सुनाने के बाद अंजना ने कहा कि अगर ब्रह्म देव उन्हें इस श्राप से मुक्ति दिलवा सकें तो वह उनकी बहुत आभारी होंगी. ब्रह्म देव ने उन्हें कहा कि इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए अंजना को धरती पर जाकर वास करना होगा, जहां वह अपने पति से मिलेंगी. शिव के अवतार को जन्म देने के बाद अंजना को इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी.



आखिर कैसे गायब हो गया एक पूरा द्वीप?


ब्रह्मा की बात मानकर अंजना धरती पर चली गईं और एक शिकारन के तौर पर जीवन यापन करने लगीं. जंगल में उन्होंने एक बड़े बलशाली युवक को शेर से लड़ते देखा और उसके प्रति आकर्षित होने लगीं. जैसे ही उस व्यक्ति की नजरें अंजना पर पड़ीं, अंजना का चेहरा वानर जैसा हो गया. अंजना जोर-जोर से रोने लगीं, जब वह युवक उनके पास आया और उनकी पीड़ा का कारण पूछा तो अंजना ने अपना चेहरा छिपाते हुए उसे बताया कि वह बदसूरत हो गई हैं. अंजना ने उस बलशाली युवक को दूर से देखा था लेकिन जब उसने उस व्यक्ति को अपने समीप देखा तो पाया कि उसका चेहरा भी वानर जैसा था.


hanuman

अपना परिचय बताते हुए उस व्यक्ति ने कहा कि वह कोई और नहीं वानर राज केसरी हैं जो जब चाहें इंसानी रूप में आ सकते हैं. अंजना का वानर जैसा चेहरा उन दोनों को प्रेम करने से नहीं रोक सका और जंगल में केसरी और अंजना ने विवाह कर लिया.



भगवान शिव के भक्त होने के कारण केसरी और अंजना अपने आराध्य की तपस्या में मग्न थे. तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा. अंजना ने शिव को कहा कि साधु के श्राप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें शिव के अवतार को जन्म देना है, इसलिए शिव बालक के रूप में उनकी कोख से जन्म लें.



‘तथास्तु’ कहकर शिव अंतर्ध्यान हो गए. इस घटना के बाद एक दिन अंजना शिव की आराधना कर रही थीं और किसी दूसरे कोने में महाराज दशरथ, अपनी तीन रानियों के साथ पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए यज्ञ कर रहे थे. अग्नि देव ने उन्हें दैवीय ‘पायस’ दिया जिसे तीनों रानियों को खिलाना था लेकिन इस दौरान एक चमत्कारिक घटना हुई, एक पक्षी उस पायस की कटोरी में थोड़ा सा पायस अपने पंजों में फंसाकर ले गया और तपस्या में लीन अंजना के हाथ में गिरा दिया.


dashrath

अंजना ने शिव का प्रसाद समझकर उसे ग्रहण कर लिया और कुछ ही समय बाद उन्होंने वानर मुख वाले हनुमान जी को जन्म दिया.

Read More:

ऐसा क्या था फराओ की कब्र में जिसने नेपोलियन को भी डरा दिया?

हनुमान जी की शादी नहीं हुई, फिर कैसे हुआ बेटा ?

मौत की झूठी खबर बनी मौत की वजह

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to Sajal BagchiCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh