यह मूर्ति हो सकता है कि पहली नजर में किसी व्यक्ति को संग्राहलय में पड़ी बहुत सी मूर्तियों में से एक लगे, पर बुद्ध की इस मूर्ति की कुछ खासियत है जिन्हें जानकर आप दंग रह सकते हैं. सबसे पहले तो आपको बता दें कि यह मूर्ति 1000 साल पुरानी है, पर यह इसकी सबसे बड़ी खासियत नहीं है. दरअसल इस 1000 हजार साल पुरानी मूर्ति के अंदर एक बौद्ध भिक्षु की ममी संरक्षित है.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि हॉलैंड के एक संग्राहलय में रखी गई बुद्ध की इस मूर्ति में एक ध्यान लीन बौद्ध भिक्षु का शरीर छिपा है. यह जानकारी मूर्ति के सीटी स्कैन करने के बाद मिली. इस मूर्ति के अंदर छिपे शरीर के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए इसका एंडोस्कोप से भी परीक्षण किया गया है. माना जा रहा है कि इस मूर्ति के अंदर जो ममी है वह ल्युकान की है जो कि एक बौद्ध भिक्षु थे और उनकी मृत्यु 11 वीं शताब्दी में हुई थी.
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शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस ममी के अंदरूनी अंगों को निकाल दिया गया है और उसकी जगह पर कागज ठूंसे गए हैं जिसपर प्रचीन चीनी अक्षरों में कुछ लिखा हुआ है. यह मूर्ति पिछले साल से नीदरलैंड के ड्रेंट संग्राहलय में एक प्रदर्शनी में रखी गई है जिसका थीम है, ‘ममी: लाईफ बियॉन्ड डेथ. यह पहली बार था जब इस मूर्ति को चीन के बाहर लाया गया. बताया जाता है कि यह सेल्फ ममीफिकेशन या खुद को ममी में तब्दील कर देने का मामला है.
खुद को ममी बनाने की प्रक्रिया में चीनी बौद्ध भिक्षु पहले 1000 दिन तक केवल पानी और कुछ बीज पर जीवित रहते हैं फिर कुछ जड़, पेड़ों की छाल खाकर अगले हजार दिन गुजारते हैं. इस दौरान वे विशेष प्रकार की चीनी जहरीली शराब पीते हैं. अंत में उन्हें एक पत्थर के मकबरे में समाधि की अवस्था में चुनवा दिया जाता है. इस दौरान वे छोटे से छेद के माध्यम से सांस लेते हैं और रोजाना एक घंटी बजाते हैं ताकि सबको यह पता चलता रहे कि अभी वे जीवित हैं. एक बार जब घंटी बजनी बंद हो जाती है तो उन्हें इसी अवस्था में अगले 1000 दिन रखा जाता है.
बताया जाता है कि इस तरह से खुद को ममी में तब्दील करके बौद्ध भिक्षु बौधत्व को प्राप्त कर पाते हैं. पर इस मामले में कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह खुद को ममी बनाने का मामला नहीं है. ममी के शरीर के अंदरूनी अंगों को निकाला गया है और उसमें कागज ठूंसा गया है जो कि कुछ और ही संकेत देते हैं. आपको बता दें कि इस तरह की यह विश्व की इकलौती मूर्ति है. Next…
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