धन की कामना संसार में अधिकांश लोगों की होती है. कई बार आसानी से धन प्राप्ति के लिए लोग टोने-टोटकों का भी प्रयोग करते हैं. कुछ लोग घर में मनी प्लांट लगाते हैं तो कुछ अन्य नुस्खे अपनाते हैं पर अफ्रिका के एक देश तंजानियां में लोगों की धन पिपासा के काऱण उन लोगों के ऊपर जान का जोखिम मंडराता रहता है जो एलबिनो रोग के शिकार हैं. एलबिनो या रंगहीनता एक आम बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति का शरीर त्वचा को रंग देने वाले पिगमेंट के अभाव में सफेद दिखता है.
इस देश में यह अन्धविश्वास फैल गया है कि एल्बिनो से शिकार व्यक्ति के शरीर का कोई अंग घर में रखने से घर में खुशहाली रहती है और संपन्नता बढ़ती है. इस देश में तांत्रिकों और ओझाओं ने इस कदर यहां के लोगों को बहका दिया है कि लोग एल्बिनो पीड़ित रोगी के कटे अंगों के लिए कोई भी कीमत देने को तत्पर हैं. हालात यह है कि एल्बिनो पीड़ित लोगों के अंग 10,000 डॉलर यानी 6 लाख रूपए से भी ज्यादा की कीमत पर बिक रहे हैं. इस अंधविश्वास के चलते अबतक 70 एल्बिनो पीड़ित लोग जान गंवा चुके हैं वहीं सैकड़ों अन्य रोगियों को अपने शरीर का कोई न कोई अंग हमलावरों के हाथों गंवाना पड़ा है.
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तंजानियां में एल्बिनों रोगियों को ढूंढने और उनके अंगों को काटकर बेचने वालों का पूरा एक गिरोह खड़ा हो गया है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस अफ्रीकी देश में तकरीबन 30,000 एल्बिनो से पीड़ित रोगी रहते हैं. इन रोगियों पर निरंतर हमले का खतरा मंडराता रहता है. हालांकि सरकार ने इस अंधविश्वास के खिलाफ कुछ कदम उठाएं हैं. उन सभी ओझाओं और तांत्रिकों को यहां बैन कर दिया गया है जो इस तरह के तांत्रिक गतिविधियों में संलग्न है. बीबीसी के अनुसार ऐसे रोगियों के अंगों का सूप बनाकर पीने का प्रचलन इस देश में पुराना है. पर समस्या यह है कि इस तरह की गतिविधियों में समाज के धनी और प्रभावी लोग शामिल हैं.
कोई गरीब 6 लाख रुपए देकर एल्बिनों रोगियों के अंग नहीं खरीद सकता. व्यापारी वर्ग और नेता इस धंधे को संरक्षण दे रहे हैं और उसमें शामिल भी है. कई मानव अधिकार संस्थाएं तंजानियां के एल्बिनों रोगियों को सुरक्षा देने की मांग को उठा रही है पर वर्तमान में स्थिति ऐसी है कि इस देश में सफेद चमड़ी वाले व्यक्ति की किसी भी क्षण हत्या हो सकती है. Next…
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