बहुपति प्रथा को अक्सर हम अपवाद समझते हैं और इस प्रथा का एक मात्र उदाहरण महाभारत की द्रौपदी के रूप में जानते हैं जिन्होंने पांचों पांडव भाईयों से विवाह किया था. पर हमारे देश का एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां लगभग हर घर में द्रौपदी है. हिमाचल प्रदेश का एक क्षेत्र ऐसा है जहां एक ही युवती सभी सगे भाईयों से शादी रचाती है. इस परंपरा के पीछे इस क्षेत्र के लोगों के अपने तर्क हैं.
यह प्रथा है हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की. यहां के लोग का कहना है कि यह परंपरा का पांडवों के अज्ञातवास के समय से चली आ रही है. किन्नौर के निवासी बताते हैं कि यह प्रथा इसलिए चली आ रही है क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडवों ने यहां समय बिताया था. इस जिले में होने वाले विवाह की परंपरा आपको अजीब लग सकती है. यहां जब किसी युवती की शादी होती है तो लड़की के परिवार वाले लड़की के भावी ससुराल के सभी लड़कों के बारे में पूरी जानकारी जुटाते हैं. विवाह में सभी भाई दूल्हा बनकर सम्मलित होते हैं. पर दुल्हन किस भाई के साथ रहेगी उसका निर्धारण टोपी करती है.
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अगर कोई भाई दुल्हन के साथ कमरे में होता है तो कमरे के दरवाजे पर अपनी टोपी रख देता है. सभी भाई इस परंपरा का सम्मान करते हैं और दरवाजे पर टोपी रखी होने के स्थिति में दूसरा कोई भाई कमरे में प्रवेश नहीं करता. सर्दियों के दौरान बर्फबारी की वजह से यहां की महिलाएं और पुरूष घर में ही रहते हैं. इस मौसम में यहां के लोगों के पास कुछ खास काम नहीं होता और यहां कि पुरूष और महिलाएं एक दूसरे के साथ मौज-मस्ती में दिन-रात गुजारतें हैं.
इस जिले में समाज मातृसत्तात्मक है यानी घर की मुखिया कोई पुरूष नहीं बल्कि महिला होती है. इनका दायित्व होता है पति व संतानों की सही ढंग से देखभाल करना. परिवार की सबसे बडी स्त्री को गोयने कहा जाता है और उसके सबसे बडे पति को गोर्तेस यानी घर का स्वामी.
यहां के समाज की एक और खास बात यह है कि यहां खाने के साथ शराब अनिवार्य होती है औऱ शराब को यहां बुरा नहीं माना जाता. यदि पुरूषों का मन दुखी होता है तो वह शराब और तम्बाकू का सेवन करते हैं वहीं जब महिलाओं को किसी बात को लेकर दु:ख होता है तो वह गीत गाकर अपना दिल बहलाती हैं. Next…
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