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दस हजार कमरों वाला यह आलीशान होटल क्यों है 70 सालों से वीरान

इसके निर्माणकर्ताओं ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस विशालकाय और आलीशान होटल का वे निर्माण कर रहें हैं उसकी नियती विरान रहने की है. 4 किलोमीटर की लंबाई में फैले इस 10,000 कमरों के होटल को बनाने में 9 हजार मजदूरों ने लगातार 3 साल तक अथक परिश्रम किया. लेकिन पिछले 70 सालों से यह होटल वीरान पड़ा है.


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यूरोप में बाल्टिक सागर के किनारे स्थित इस होटल का नाम है द् प्रोरा होटल. इसका निर्माण जर्मनी के नाजी शासन के दौरान रूगेन आइलैंड में करवाया गया था. 30 के दशक बाद जर्मनी में नाजियों ने एक प्रोग्राम ‘स्ट्रैन्थ थ्रु ज्वॉय’ के तहत विशाल परिसर तैयार कराने का विचार किया. इसे प्रोरा ‘द कॉलोसस’ कहा गया जिसका शाब्दिक अर्थ होता है झाड़ क्षेत्र या मरूभूमि.


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4 किलोमीटर लंबे इस परिसर को देखकर यह अंदाजा नहीं होता कि यह एक होटल है. बाल्टिक सागर से मात्र 150 मीटर की दूरी पर स्थित इस पूरे होटल में एक जैसी 8 बिल्डिंग बनार्इ गर्इ है. यहां एक समान चार रिजॉर्ट बनाए गए हैं और हर रिजॉर्ट में सिनेमाघर है. सभी बिल्डिंग में फेस्टिवल हॉल की भी व्यवस्था है. कपल्स के लिए स्विमिंग पूल और बिजनेस के लिए क्रूज शिप के भी आने की व्यवस्था कि गई थी. आइलैंड के स्थानीय लोगों के लिए पहली बार इतना कुछ होना हैरतअंगेज था. स्थानीय लोग यह भूलकर कि इस निर्माण से  नाजीवाद के प्रसार में मदद मिलेगी, इस बंजर भूमि पर यह विशालकाय ढांचा खड़ा करने के लिए राजी हो गए.



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इस होटल को लेकर नाजियों के चीफ एडोल्फ हिटलर न बड़े सपने देखे थे. हिटलर की चाहत थी कि एक घुमावदार समुद्री रिजॉर्ट बनाया जाए जो बड़ा तो हो ही विश्व में सबसे अनूठा भी साबित हो. उनकी प्लानिंग थी कि बिल्डिंग में 20 हजार से भी अधिक बिस्तर हों. हर कमरे में ग्लासेज लगें जिससे बाल्टिक सी का नजारा देखा जा सके. प्रोरा रिजॉर्ट में हर रूम 5 x 2.5 मीटर का है. एक-एक कमरे में दो बेड़, एक अलमीरा और एक सिंक बनाए गए. इसके अलावा प्रत्येक फ्लोर में शॉवर, बॉलरूम और टॉयलेट्स ग्रुप मेक किए गए. बिल्डिंग के बीच-बीचों यह सुविधा थी कि युद्घ या इमरजेंसी में यहां अस्पताल बन जाए.


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प्रोरा रिसोर्ट की बिल्डिंग बनने के पश्चात़ रेजीडेंसी फैसिलिटी लागू हुर्इं, लेकिन इसमें खाने का लुत्फ लेने की उम्मीदें तब हवा हो गर्इं जब सैकेंड वर्ल्ड वार में जर्मनी हार गया. हिटलर ने हजारों कर्मचारियों को पीनमंडे वेपन प्लान्ट भेज दिया. जहां उन्हें हथियार विकसित करने का काम मिला और अंतिम बार मित्र देशों द्वारा की गई बमबारी में हमबर्ग से विस्थापित लोगों ने यहां शरण ली थी. Next…

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