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क्यों महिलायें लगाती है शादी के समय इत्र…..जानिये 16 श्रृंगारों का है पौराणिक महत्व

सुंदर दिखना किसे पसंद नहीं!  और बात अगर स्त्रियों की हो तो क्या कहने! सुंदर दिखने के लिये स्त्रियाँ कई तरह के सौंदर्य-प्रसाधन उपयोग करती हैं. औरतों के सजने-सँवरने को श्रृंगार कहते हैं. मौका अगर विवाह का हो तो औरतें 16 श्रृंगारों में सजी दिखना चाहती है. पुराने जमाने से हमारे यहाँ औरतें शादी-ब्याह के अवसर पर 16 श्रंगारों से सजती है. इन 16 श्रृंगार के प्रसाधनों से महिलायें अपने पैर से लेकर सिर तक सजती-सँवरती हैं. क्या और कौन-कौन से हैं ये सोलह श्रंगार—


शादी का जोड़ा

शादी में महिलायें साड़ी,लहंगा या सलवार-सूट पहनना पसंद करती हैं. ये वस्त्र लाल रंग या सुनहरे रंग से बने होते हैं.


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पौराणिक मान्यता

लाल रंग मांगलिक कामों के लिये शुभ मानी जाती है. शादी के कपड़ों में लाल रंगों के साथ ही सुनहरे रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है. दुल्हन के चेहरे पर घूँघट रहती है जो उसके यौवन, लज्जा और कुमारीत्व का प्रतीक माना जाता है.


केशपार्शचना (केश पाश रचना)

इसमें बालों को इच्छानुसार विभिन्न आकारों में गूँथा जाता है.



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-गजरा

गूँथे हुये बालों में गजरा लगाया जाता है. गजरा सुगंधित पुष्पों से माला के आकार में बनाई जाती है. मुख्य रूप से गजरे बेला (एक प्रकार का फूल) से बने होते हैं.


पौराणिक मान्यता

केशों को तीन तरह के आकार दिये जाते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि-

  • चोटियों के ये तीन आकार भारत की तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती की प्रतीक मानी जाती है.
  • चोटियों के ये तीन आकार ईश्वर के त्रिरूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश के प्रतीक के रूप में देखी जाती है.
  • एक मान्यता यह भी है कि दुल्हन के खुले केश वर को अपने वशीभूत कर सकते हैं. इसलिये दुल्हन के केशों को बाँध दिया जाता है.


Read: बिछिया और महिलाओं के गर्भाशय का क्या है संबंध


माँग टीका अथवा भोर अथवा मंदोरिया

माँग टीका बहुमूल्य पत्थर, सोने या चाँदी से तैयार की जाती है. यह माँग यानी बालों के बीचोंबीच पहनी जाती है.



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पौराणिक मान्यता

ललाट के अज्नचक्र (छठी चक्र) पर धारण करने के कारण यह आत्मा की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. यह एकाग्रता, नियंत्रण और संरक्षण के महत्तव को दर्शाता है.


बिंदी, टीका या तिलक

बिंदी विवाहित महिलाओं के पवित्र प्रतीकों में गिनी जाती है. यह ललाट के मध्य में लगाई जाती है. यह लाल रंग की सिंदूर का वृत्ताकार घेरा होता है.


पौराणिक मान्यता

इसे ‘अधिकार केंद्र’ कहा जाता है. इसका कारण है कि ‘ध्यान’ के समय उर्जा रीढ़ की जड़ से उठकर यहाँ आकर केंद्रित हो जाती है. माना जाता है कि इससे महिलाओं को भविष्य में होने वाली किसी अप्रिय घटनाओं का आभास हो जाता है. ललाट के मध्य यह स्थान जिसे अग्न कहा जाता है, बुद्धिमानी और अनुभवों का केंद्र मानी जाती है


सिंदूर

शादी की रीतियों में सिंदूर-दान का अहम स्थान है. यह परिचायक है कि एक स्त्री व पुरूष विवाह के बँधन में बँध चुके हैं. सिंदूर रूपी पवित्र लाल रंग महिला की गर्भधारण क्षमता का प्रतीक माना जाता है.


पौराणिक मान्यता

यह लौकिक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करती है और स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती है.


काजल

पहले दीपक या मिट्टी की कालिख से काजल बनाई जाती थी. यह पलकों पर लगाई जाती है.


पौराणिक मान्यता

यह माना जाता है कि इससे दुल्हन बुरी नज़रों से बच जाती है. इस प्रकार यह दुल्हन को सुरक्षित रखती है.


नथ

नथ नाकों मे पहनी जाती है. यह मोती, हीरे या जवाहरात से बनी होती है जो नाक के बायें भाग में पहनी जाती है.


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पौराणिक मान्यता

नथ आध्यात्म और बहादुरी का प्रतीक है.


कर्णफूल अथवा झूमर

कानों की छिदाई के बाद विभिन्न आकारों के हीरे अथवा बहुमूल्य पत्थर जड़ित रत्नों से बने झूमर महिलाओं के कानों की शोभा बढ़ाते हैं. झूमर कानों की बाली का एक प्रकार है जो झूमती-सी(लटकती) दिखती है. यह सोने की बनी होती है.


पौराणिक मान्यता

मंदिर के आकार की झूमर को पवित्र समझा जाता है.


मंगल-सूत्र

महिलायें गले में सोने का हार पहनती है जिसमें काले रंग की मनका जड़ी होती है. इसे मंगल-सूत्र कहते हैं. यह हीरे, रत्नों से बनी होती है.


पौराणिक मान्यता

विवाह का प्रतीक माने जाने के कारण इसे महिलायें जीवन-पर्यंत पहने रहती है.


बाजूबंद

बाजूबंद हाथ के ऊपरी भाग पर पहनी जाती है. यह सोने, चाँदी, हीरे या मोतियों से बनाई जाती है. बाजूबंद की प्रसिद्ध डिजाइनों मे मुगल,जयपुरी और राजस्थानी शुमार हैं.


पौराणिक मान्यता

यह मान्यता है कि बाजूबंद बुरी चीज़ों से दूर रखकर दुल्हन को सुरक्षित रखती हैं.


हिना अथवा मेंहदी

महिलाओं के श्रृंगार में हिना या मेंहदी प्रमुख है. अलग-अलग आकार की मेंहदी हाथ व पाँव में लगायी जाती है. इसे धोने के बाद यह त्वचा पर नारंगी-लाल रंग की छाप छोड़ती है.


पौराणिक मान्यता

यह कहा जाता है कि मेंहदी का रंग जितना गहरा उभरता है उतना ही गहरा उस जोड़े का प्यार होता है. यह भी मान्यता है कि मेंहदी कंजूसी, बीमारियों और मृत्यु से महिलाओं को दूर रखती है.


चूड़ियाँ

चूड़ियाँ दोनों हाथों में पहनी जाती है. यह काँच, धातु अथवा सोने की बनी होती है.


पौराणिक मान्यता

इसे सुहाग की निशानी मानी जाती है. माना जाता है कि एक विवाहित स्त्री को इसे पहनकर रखना चाहिए.


आरसी- अंगूठी

यह काँच से बनी होती है जो हाथों के अंगूठे में पहनी जाती है.


पौराणिक मान्यता

इसे छोटी आईने के तौर पर देखा जाता है. माना जाता है कि पत्नी इसमें सबसे पहले अपने पति को देखती है.


कमरबंद अथवा करधनी

सोने, जवाहरात या बहुमूल्य पत्थरों से बनी कमरबंद को महिलायें अपने कमर पर बाँधती है.


पौराणिक मान्यता

इसे भावी सफलता का प्रतीक माना जाता है.


पायल और बिछिया

पायल और बिछिया चाँदी के बने होते हैं. बिछिया दोनों पैरों की दूसरी सबसे बड़ी अँगुली में पहनी जाती है.


पौराणिक मान्यता

बिछिया का संबंध महिलाओं के मासिक चक्र से होता है.



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इत्र

यह शादी की रस्मों को निभाते वक्त महिलाओं को तरोताज़ा रखती है.


पौराणिक मान्यता

इसका संबंध वातावरण से होता है. यह माहौल की सकारात्मकता को बनाये रखती है. Next….





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