इतिहास ऐसी कई कहानियों से भरी पड़ी है जिसमें कौमार्य भंग करने वालों को मौत की सजा मिली है चाहे वो कितने बड़े पद पर क्यों न बैठे हों. एक तुर्क सेनापति जिसने सिंध जैसे शक्तिशाली राज्य पर हमला कर उसे अपने अधीन कर लिया. लेकिन बस एक गलती के कारण उसकी जीतों को नजरअंदाज कर दिया गया और उसे अपनी जान देनी पड़ी. पढ़िए एक सेनापति की ऐसी ही रोचक कहानी.
अरब सिंध को जीतने में एक बार नाकामयाब हो गए थे. लेकिन वो सिंध को किसी भी हालत में जीतना चाहते थे. उस समय सिंध का राजा दाहिर था. एक बार श्रीलंका से इराक जाते वक्त एक समुद्री जहाज़ को लूट लिया गया जिसमें कुछ मुसलमान महिलाएँ यात्रा कर रही थी. इस पर इराक के गवर्नर हज्जाज ने राजा दाहिर को संदेश भेजा कि वो इन लुटेरों को सज़ा दें. लेकिन दाहिर ने ऐसा करने से मना कर दिया. हज्जाज क्रोधित हो गया और उसने अपने एक सेनापति को सिंध पर आक्रमण करने के लिए भेजा. किंतु दाहिर के सामने वह टिक न सका. तब हज्जाज ने एक अन्य सेनापति को सिंध पर आक्रमण के लिए भेजा. लेकिन दाहिर के पुत्र ने उसे युद्ध में मार दिया.
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अपने दो सेनापतियों की हार पर हज्जाज गुस्से से आगबबूला हो गया. उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया और अपने दामाद मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में उसे सिंध पर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा. मुहम्मद बिन कासिम यह जानता था कि राजा दाहिर को सीधे युद्ध में नहीं हराया जा सकता. इसलिए उसने दाहिर से सीधे लड़ने के बजाय उसके विरोधियों को अपने साथ मिला लिया. देवल में मुहम्मद बिन कासिम का सामना दाहिर के भतीजे से हुआ. कासिम उसे हराने में सफल नहीं हो पा रहा था. लेकिन किसी व्यक्ति के द्वारा उसे राज्य के कुछ गुप्त रहस्य बताए जाने के कारण उसने देवल की वह युद्ध जीत ली.
सिंध में कासिम का सामना दाहिर से हुआ. लेकिन युद्ध करते समय सीने में तीर लग जाने के कारण दाहिर की मृत्यु हो गई. दाहिर के मरने के बाद उसकी स्त्रियों ने वीरतापूर्वक कासिम का सामना किया लेकिन अंत में अपने को असफल होते देख उन्होंने आग में कूदकर अपनी जान दे दी. अब सिंध और मुल्तान पर मुहम्मद बिन कासिम ने अधिकार जमा लिया. अपनी जीत के बाद कासिम ने उपहार के तौर पर दाहिर की दो पुत्रियों को खलीफ़ा सुलेमान के पास भेजा. लेकिन दोनों ने खलीफ़ा से कासिम की शिकायत करते हुए कहा कि उसने(कासिम ने) पहले से ही उनका कौमार्य भंग कर दिया है.
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इसे अपना अपमान समझ खलीफ़ा गुस्से में आ गया और उसने मुहम्मद बिन कासिम को मृत्युदंड दिया. इस प्रकार सिंध पर जीत हासिल करने के बाद भी वो सेनापति स्त्रियों का कौमार्य भंग करने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया. माना जाता है कि मुहम्मद बिन कासिम की इन महत्तवपूर्ण विजयों के कारण ही मुसलमान पहली बार भारत की धरती पर पाँव जमाने में सफल रहे. Next…..
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