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मरे हुए परिजनों के कब्र पर रहते हैं इस गांव के लोग

बर्तन, चूल्हा, कपड़े, मिट्टी की कोठी आदि ऐसी चीज़ें हैं जो हर घर में आसानी से मिल जाती है. लेकिन क्या घर में कब्र हो सकती है? हाँ कब्र! जिसमें अपने प्रियजन का शव दफनाया जाता है. भारत में एक गाँव ऐसा भी है जिसके लगभग हर घर में कब्र है. पढ़िए कौन सा गाँव है वो….


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उत्तर प्रदेश में इटावा से 35 किलोमीटर दूर एक गाँव है. इस गाँव में तकिया नाम का एक इलाका है. चकरनगर गाँव के इस इलाके में घर में जरूरी सामानों के अलावा जो एक और चीज देखने को मिलती है वो है कब्र. यह कोई परम्परा नहीं है. यहाँ ग्रामीण अपने कमरे में ही शवों को दफनाने और उनकी कब्र बनाने को मज़बूर है. उनकी मज़बूरी की वज़ह गाँव में कब्रिस्तान का न होना है.


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इटावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पैतृक जिला भी है. जिला प्रशासन के अनुसार ग्रामीणों को कब्रिस्तान के लिए वहाँ से डेढ़ किलोमीटर दूर पड़ोसी गाँव में शवों को दफनाने के लिए जमीन मुहैया कराई गई थी लेकिन वो वहाँ शवों को दफनाना नहीं चाहते.



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वो चाहते हैं कि उन्हें गाँव में ही कब्रिस्तान की जमीन उपलब्ध कराई जाय. पर प्रशासनिक दिक्कतों और ज़मीन के अभाव के कारण ये सम्भव नहीं हो पा रहा है. हालांकि कुछ ग्रामीण राज़ी हो गए हैं. लेकिन कुछ, इस्लामिक मान्यताओं के कारण ऐसा नहीं कर रहे हैं. इस्लाम में विशेष परिस्थितियों में ही शवों को स्थानांतरित करने की इजाजत है.


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इटावा जिले के रहने वाले रहीम खान कहते हैं कि तकिया इलाके के कई घरों में कब्र बने हुए हैं. यहाँ करीब ढ़ाई सौ मुसलमान रहते हैं जो अपने घर में ही कब्र बनाकर रहने और दैनिक क्रियाओं को करने के लिए मज़बूर हैं.


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