भारत में चुनाव से पहले उम्मीदवारों द्वारा आनन-फानन में पुलों, भवनों और सड़कों का उद्घाटन किया जाता है. कई नेता तो अपने गाँवों, जि़लों अथवा शहरों में मेला तक लगवाते हैं और बड़ी शान से उसका उद्घाटन करने आते है. उनका मानना होता है कि जनता इसे याद रखती है और चुनाव में उसके पक्ष में वोट देती है. मेले के उद्घाटन का एक सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि एक साथ कई लोगों से नेता जी की मुलाकात हो जाती है.
परंतु, राजस्थान के जयपुर में एक ऐसा गाँव भी है जहाँ एक मेला लगता है. 400 साल पुराने इस मेले में गधे, घोड़ों और खच्चरों की ब्रिकी की जाती है.
पशुओं के मालिक अपने गधों, घोड़ों और खच्चरों के नाम बॉलीवुड की नामचीन हस्तियों के नाम पर रखते हैं. जैसे गधों का नाम सलमान खान, बाजीराव सिंघम, लाल बादशाह आदि रखा जाता है. खरीददार भी इनके नामों से प्रभावित हो इसे खरीदने में रूचि दिखाते हैं. गधों को रैम्प पर भी चलवाया जाता है. रैम्प पर चलने से पहले उन्हें सजाया-संवारा जाता है. उन्हें अच्छे कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं. सज-धज कर रैम्प पर चलते ये गधे और खच्चर बड़ी तादाद में ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
मेले की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इसका उद्घाटन करने कोई नेता नहीं आता. नेताओं में इस मेले को लेकर दहशत बनी रहती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कहा जाता है कि इस मेले का उद्घाटन करने वाला नेता चुनाव हार जाता है. सिर्फ इसी डर से कोई भी नेता उस मेले के औपचारिक उद्घाटन का फीता काटने नहीं आता है.
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इस मेले में भारत के कोने-कोने से पशु प्रेमी और खरीददार पशु खरीदने आते हैं. इस मेले में गधों से संबंधित उत्पादों की बिक्री के लिए भी स्टॉल लगाए जाते हैं. यहाँ 100 रूपए के गधों से लेकर 16,000 रूपए तक के गधे आसानी से मिल जाते हैं.
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