“भईया सेल्फी का जमाना है अपनी और अपने दोस्तों की फोटो खींचकर सोशल साइटो पर डालना है”. आज के इस दौर में जब हर किसी को अपनी सेल्फी क्लिक करने का क्रेज है तो ऐसे में जानवर कहां पीछे रहने वाले.
उपर की लाइन पढ़कर आप अचरज में जरूर पड़ गए होंगे कि भला सेल्फी से जानवरों क्या लेना देना. गौरतलब है कि इंडोनेशिया के द्वीप सुलावेसी में ब्लैक मकाऊ नाम के बंदर ने एक ऐसी सेल्फी खींची है जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यह सेल्फी तीन साल पहले 2011 में खींची गई थी जो आज वीकिपीडिया पर पोस्टेड है.
एड्स के बाद एक और खतरनाक बीमारी इंसानी दुनिया में आतंक मचा रही है
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें विवाद की क्या बात है, बंदर ने खींची होगी और वीकिपीडिया को पसंद आई तो उसे अपने साइट पर डाल दी. दरअसल विवाद यहा नहीं बल्कि जिस कैमरे से बंदर ने वह फोटो खींची थी उस कैमरे का मालिक अब कॉपीराइट को लेकर विकीपीडिया का स्वामित्व रखने वाली विकीमीडिया पर केस करने जा रहा है.
गौरतलब है कि ब्रिटिश फोटोग्राफर डेविड स्लेटर 2011 में इंडोनेशिया के द्वीप पर बंदरों की फोटो खींच रहे थे, तभी एक बंदर ने उनसे कैमरा छीनकर हजारों फोटो खींच ली. इनमें से कुछ गजब की तस्वीरें थीं खासकर उसकी अपनी. बाद में उनमें से एक बंदर की सेल्फी ने काफी धूम मचाई.
पति 112 साल का और पत्नी 17 साल की….पढ़िए ऐसे ही कुछ अजीबोगरीब प्रेमी जोड़ों की कहानी
फोटोग्राफर डेविड स्लेटर ने विकीपीडिया से इस मशहूर सेल्फी को हटाने के लिए कहा क्योंकि उनका मानना है कि इस सेल्फी की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन उधर विकीपीडिया ने इस फोटो की लोकप्रियता की वजह से सेल्फी को हटाने से इनकार कर दिया है. वेबसाइट पर एक संदेश में विकीपीडिया ने लिखा है कि ‘यह फाइल पब्लिक डोमेन में ही रहेगी, क्योंकि यह किसी मनुष्य की कृति नहीं है और इस पर किसी का अधिकार नहीं है’.
इस मामले में विकीपीडिया का मानना है, ‘सेल्फी का कॉपीराइट बंदर के पास है न कि उस फोटोग्राफर स्लेटर का है जो उस वक्त वहां मौजूद था’. विकीपीडिया के मुताबिक, कॉपीराइट उस बंदर के पास ही रहेगा क्योंकि उस फोटो को उसी ने खींचा था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब स्लेटर विकीपीडिया का स्वामित्व रखने वाली विकीमीडिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं, जिसने अपनी साइट पर बिना इजाजत इस तस्वीर का प्रयोग किया. स्लेटर विकीपीडिया पर पर 30,000 डॉलर (18.38 लाख रु.) तक जुर्माना लगाने का केस कर सकते हैं.
Read more:
Read Comments