जब भी मैं अपने परिवार के साथ कहीं बाहर निकलता हूं तो लोगों की प्रतिक्रिया मुझे देखकर आज भी वही है लेकिन जब वे मेरी पत्नी को देखते हैं तो उनका देखने का तरीका और भी अजीब हो जाता है. कुछ लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि ‘देखो जरा उसकी पत्नी को’!
यूं तो भगवान ने हर मनुष्य को एक समान बनाया है, सभी को एक जैसे अंग दिए हैं लेकिन बदकिस्मती से कुछ लोगों के हिस्से में पूर्णता नहीं आई है. आरिफ इब्राहिम ताम्बे, 32 वर्षीय इस आदमी का कद केवल साढ़े तीन फीट है और इसके साथ ही उसे चलने व रोज के काम जैसे कि नहाना, बाथरूम जाना, ऐसे कई कामों को करने में दिक्कत होती है.
आरिफ को लेकर लोगों का नज़रिया काफी अजीब है, वो उसे बुरी नजरों से देखते हैं लेकिन यहां सवाल यह है कि इन सब में आरिफ का क्या दोष? वो जब भी बाहर निकलता है तो लोग ऐसे देखते हैं मानो कोई एलियन सड़क पर चल रहा हो. क्या आरिफ का छोटा कद उसका गुनाह है? क्या वो कभी बाकी लोगों की तरह साधारण रहने का अनुभव नहीं कर सकता?
लेकिन तकदीर ने दिया साथ
कितने ही सवाल आरिफ के मन को झंझोड़ कर रख देते होंगे जिनका जवाब आजतक उसे मिल नहीं पाया है. लेकिन वो कहते हैं ना कि ‘भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं’, कुछ ऐसी ही कृपा आरिफ की जिंदगी में भी हुई जिस कारण उसको अपने सारे दुख बहुत छोटे लगने लगे. आरिफ को उसका जीवनसाथी मिला, उसकी शादी हुई और अब उसका एक छोटा स बच्चा भी है जिसने उसके परिवार को पूरा किया है.
आरिफ की पत्नी अरीमा की उम्र केवल 21 साल की थी जब वे दोनों एक मोबाइल की दुकान में तीन साल पहले मिले. इन दोनों की कहानी किसी फिल्मी लव स्टोरी से कम नहीं है. आरिफ का कहना है कि अमीना को देखते ही उसे उससे प्यार हो गया, दोनों के लिए यह पहली नज़र का प्यार ही था लेकिन आरिफ इज़हार करने से घबराता था. उसे लगता था कि उसके छोटे कद के कारण कहीं अरीमा उसे इनकार ना कर दे. अरीमा का कद 5 फीट 2 इंच है इसका और वो आरिफ से 2 फीट लंबी है.
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जब अरीमा ने किया अपने प्यार का इज़हार
आरिफ तो अपने दिल की बात बता ना सका लेकिन शायद अरीमा खुद को रोक ना पाई और उसने आरिफ से शादी करने का प्रस्ताव रखा. यह सुनते ही आरिफ ने उसे खुद से जुड़ी कुछ बातों के बारे में संक्षेप में बताया. आरिफ ने कहा, “यदि तुमने मुझसे शादी की तो तुम्हें मेरा पूरा ख्याल रखना पड़ेगा, तुम्हें मुझे बाथरूम ले जाना होगा, मुझे नहलाना होगा, यहां तक कि मेरे हर एक काम में मेरी मदद करनी होगी.”
आरिफ के यह सब बताते ही अरीमा ने हर एक काम के लिए हां कह दी. दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार थे लेकिन अरीमा के रिश्तेदारों व परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था. उन्होंने इसका काफी विरोध किया लेकिन अंत में आरिफ व अरीमा के प्यार की जीत हुई. अरीमा का कहना है कि, “मेरे घर वालों व परिवार वालों को यह रिश्ता कबूल ना था लेकिन हमने फिर भी शादी की. मेरी शादी पर मेरे रिश्तेदारों में से कोई भी नहीं आया. वे लोग आजतक हम से बात नहीं करते हैं.”
दुख है तो बस एक बात का
बेटे के जन्म के बाद परिवार की ओर बढ़ती हुई जिम्मेदारियों को देख आरीफ और भी मेहनत करने लगा. उसने एक व्हील चेयर ली और अब वो और भी आराम से व तेजी से हर काम कर सकता है.
आरिफ व उसके इस छोटे से परिवार के लिए मुश्किलें काफी हद तक कम हो गई हैं लेकिन फिर भी कुछ बातें कभी नहीं बदलती. पूरा परिवार आज भी जब कहीं बाहर निकलता है तो निम्न सोच से बंधे लोग उन्हें अजीब नजरों से देखते हैं. आरिफ को अपनी ओर आने वाली नजरों का कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब यही सोच उसके परिवार को ओर बढ़ती है तो उसे सबसे ज्यादा दुख होता है.
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आप आरिफ की जगह होते तो?
बड़ी-बड़ी बातें करना और किसी को मुफ्त की सलाह देना काफी आसान होता है लेकिन जो चोट एक इंसान झेल रहा है आप उसका अंदाजा तब तक नहीं लगा सकते जब तक वह चोट आपने खुद ना खाई हो. कुछ ऐसा ही किस्सा है आरिफ इब्राहिम ताम्बे का, जिसने अपनी जिंदगी व लोगों से प्यार व अपनेपन के अलावा कुछ और नहीं मांगा लेकिन फिर भी उसे लोगों की अजीब व्यवहार का सामना करना पड़ता है.
यदि हमारा कोई अपना, कोई दोस्त या कोई रिश्तेदार इस दर्द से गुजरता तो हमें इसका ज्यादा एहसास होता और यदि हम खुद इस दर्द में होते तो हम आरिफ की इस हालत को काफी करीब से समझ सकते. आज जरूरत है तो केवल इंसान के नजरिये को बदलने की और जिस दिन यह बदल गया उस दिन यह दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाएगी.
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