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जानिए किस उम्र में बन सकते हैं आप शनि के कोप के शिकार और इससे बचने के अचूक उपाय

अपनी पूरी आयु में हर इंसान को कम से कम तीन बार शनि की साढ़े साती से गुजरना पड़ता है. कई बार यह चार बार भी हो सकता है लेकिन यह एक अपवाद स्वरूप है और शायद ही कभी किसी की कुंडली में होता है. साढ़े साती किस उम्र में होगी यह व्यक्ति विशेष की कुंडली पर निर्भर करता है. जब शनि किसी के लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए वह अपना समय चक्र पूरा करता है. यह समय चक्र साढ़े सात वर्ष का होता है और यही ज्योतिष शास्त्र में साढ़े साती कहलाता है. मंद गति के कारण एक राशि को पार करने में शनि को ढ़ाई वर्ष का समय लगता है.इसलिए किस उम्र में किसे साढे साती से गुजरना है यह किसी की कुंडली में शनि की स्थिति देखकर ही बताई जा सकती है. अलग-अलग उम्र में पड़ने वाली साढ़े साती के अलग-अलग प्रभाव होते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कि किस उम्र में साढ़े साती पड़ने पर क्या प्रभाव पड़ता है.


shani deva



अमूमन साढ़े साती चार चक्र या चरणों में बांटा गया है, जो इस प्रकार हैं:

पहला चक्र: 28 साल से पहले पड़ने वाली साढ़े साती

दूसरा चक्र: 28 से बाद और 46 साल के पहले पड़ने वाली साढ़े साती

तीसरा चक्र: 46 की उम्र के बाद और 82 की उम्र से पहले पड़ने वाली साढ़े साती

चौथा चक्र: 82 की उम्र के बाद और 116 की उम्र के पहले



effects of sade sati


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पहला चक्र पूरा होने के बाद हर 25 साल बाद शनि की साढ़े साती कुंडली में दुबारा पड़ती है. इस प्रकार आयु के अनुसार हर किसी के लिए साढ़े साती से गुजरने की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है. जैसे;

– 29 की उम्र तक जीने वालों को कम से कम एक बार शनि की साढ़े साती से जरूर गुजरना पड़ता है.

– 58 साल तक जीने वालों को कम से कम 2 बार इससे गुजरना पड़ता है.

– 97 साल तक जीने वालों को कम से कम 3 बार साढ़े साती से गुजरना पड़ता है.

– इसी तरह 116 साल तक जीने वालों को चौथी साढ़े साती से भी गुजरना पड़ता है लेकिन क्योंकि इस उम्र तक जीने वाले लोग बहुत कम होते हैं इसलिए शायद ही कभी चौथी साढ़े साती का चक्र किसी के जीवन में आता है.





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साढ़े साती का हर चक्र अपने प्रभाव में व्यक्ति के लिए मुश्किल भरा हो सकता है लेकिन अलग-अलग चक्र में पड़ने वाली साढ़े साती का प्रभाव अलग-अलग होता है जो इस प्रकार हैं:


28 की उम्र से पहले पड़ने वाली साढ़े साती(भावनात्मक प्रभाव)

इसमें साढ़े साती से गुजरने वाले व्यक्ति से ज्यादा उसके करीबियों पर असर पड़ता है. इस तरह इस चक्र में भावनात्मक चोट की स्थिति बनती है. कई बार किसी करीबी की मौत या किसी अन्य बेहद करीबी से दूरी या विश्वासघात जैसी घटनाएं हो सकती हैं. किसी अन्य रूप में भी पिता या मां से मनमुटाव आदि के संयोग बनते हैं. संक्षेप में इस चक्र में पड़ने वाली साढ़े साती व्यक्ति को भावनात्मक रूप से अकेला कर सकती है. कई बार व्यक्ति पर इसका इतना गहरा प्रभाव होता है जिसका असर उस पर उम्र भर रहता है. हालांकि अलग-अलग लोगों पर इसका कम या ज्यादा प्रभाव हो सकता है.


28 के बाद और 46 साल के पहले पड़ने वाली साढ़े साती (सामाजिक प्रभाव)

सामाजिक मान-सम्मान के क्षेत्र में साढ़े साती का यह चक्र मारक हो सकता है. व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है. पारिवारिक स्तर पर क्षति होती है. हालांकि इसमें भी अलग-अलग व्यक्तियों पर दशाओं के अनुसार अलग-अलग प्रभाव होते हैं.


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46 की उम्र के बाद और 82 की उम्र से पहले की साढ़े साती (शारीरिक प्रभाव)

इसचक्र में व्यक्ति मुख्यत:शारीरिक रूप से प्रभावित होता है. परिवार को नुकसान या स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं आदि हो सकती हैं. यहां तक कि इसमें व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.


Astrology




हर कोई खुशहाल जीवन जीना चाहता लेकिन साढ़े साती के चक्र इस खुशहाली में एक प्रकार से बाधा के समान होते हैं. इसलिए शनि की साढ़े साती से हर कोई डरता है. ऐसा माना जाता है कि शनि की मारक दृष्टि जिसपर भी पड़ती है उसे जीवन में तमाम परेशानियों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, कोशिशों के बावजूद उसे सफलता नहीं मिलती और उन्नति में बाधा पहुंचती है. प्रगति में यह बाधा और परेशानियां उन्हीं रूपों में होती हैं जो ऊपर वर्णित हैं.



periods of Shani Sade Sati




हालांकि ज्योतिष शास्त्र इससे पूरी तरह सहमत नहीं है. ज्योतिष शास्त्र शनि को दंड देने वाला मानता है. इसलिए शनि की साढ़े साती की अवधि में जो भी ईमानदारी पूर्वक, निश्छल-सहृदय, सादा जीवन जीता है, शनि की कृपा उसपर होती है और साढ़े साती में भी वह प्रगति करता है. इस प्रकार तमाम परेशानियों से गुजरकर भी वह समान्य लोगों से कहीं अधिक उन्नत और सम्मानित जीवन जीता है.


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