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कालस्वरूप शेषनाग के ऊपर क्यों विराजमान हैं सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु

हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु को संरक्षक का दर्जा दिया जाता है. सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु को दो रूपों में वर्णित किया गया जिसमें एक है उनका शांत और सहज रूप और दूसरा, जिसमें उन्हें कालस्वरूप शेषनाग के ऊपर बैठा दिखाया गया है, थोड़ा खतरनाक है. विष्णु के पास बहुत सी शक्तियां हैं, संभव है जिनमें से कई आपके संज्ञान में भी नहीं होंगी. चलिए आज हम आपको इन्हीं ईश्वरीय शक्तियों से आपका परिचय करवाते हैं:


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शेषनाग पर आराम करते भगवान विष्णु: जीवन का हर क्षण कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों को अपने अंदर स्मेटे होता है, जिनमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है परिवार और समाज के प्रति. सच यह भी है कि इन सभी जिम्मेदारियों को निभाने में कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है और शेषनाग रूपी परेशानियों को अपने नियंत्रण में रखकर भगवान विष्णु यही संदेश देते हैं कि मुश्किल से मुश्किल समय में भी शांत रहकर कार्य करना चाहिए, इससे परेशानियां आसानी से हल हो जाती है.




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भगवान विष्णु का नाम नारायण क्यों हैं: भगवान विष्णु के परम भक्त हर समय नारायण-नारायण का ही नाम जपते रहते थे लेकिन बहुत ही कमलोग विष्णु को नारायण कहने के पीछे का कारण जानते हैं. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पैरों से बहने वाली गंगा नदी को ‘विष्णुपदोदकी’ भी कहा जाता है और इसी में छिपी है विष्णु को नारायण कहने के पीछे की कहानी. पानी को नर या नीर भी कहा जाता है और भगवान विष्णु भी पानी के भीतर ही रहते हैं, इसलिए विष्णु को नारायण अर्थात पानी के भीतर रहने वाले ईश्वर का दर्जा दिया गया.


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हरी का अर्थ: हरी का अर्थ होता है चुराने या लेने वाला, भगवान विष्णु दुखियों के सुख और पापियों के पाप कर लेते हैं इसलिए उन्हें हरी के नाम से भी संसार जानता है.



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