Menu
blogid : 7629 postid : 751444

युधिष्ठिर के एक श्राप को आज भी भुगत रही है नारी

इस युग में यदि कोई कर्म कर रहा है तो उसे कहीं न कहीं ‘पूर्वजों की देन’ से जोड़ा जाता है. महाभारत हिंदुओं का एक ऐसा प्रमुख और पवित्र काव्य ग्रंथ है जिसका प्रभाव समूल मानव जाति और जीव जन्तु पर पड़ा. आज हम आपके सामने वर्तमान की दो ऐसी घटनाओं का जिक्र करेंगे जिनका मूल महाभारत ग्रंथ में है.


mahabhara yudhisthira01


कभी आपने सोचा है कि स्त्रियां इतनी बातूनी क्यों होती हैं? क्यों उनके पेट में कोई बात नहीं पचती? इसका उत्तर पाने के लिए आपको महाभारत की उस घटना को याद करना पड़ेगा जब युद्ध समाप्ति के बाद माता कुंती मृत पड़े अंगराज कर्ण को अपने गोद में लेकर बिलख-बिलखकर रो रही थीं. यह देख कुंती के पांचों पुत्र हैरान थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि एक शत्रु के लिए उनकी माता आंसू क्यों बहा रही हैं.


भगवान गणेश ने धरती पर खुद स्थापित की है अपनी मूर्ति, भक्तों की हर मन्नत पूरी होती है वहां


birth-of-karna-kunti


इस बात की जिज्ञासा लिए जब ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर ने अपनी माता से पूछा तो माता कुंती ने बेटे की मृत्यु से उत्पन्न क्रोध और करुणा वश युधिष्ठिर को जवाब दिया कि अंगराज कर्ण उनका वास्तविक पुत्र था जिसका जन्म पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था. यह जानकर युधिष्ठिर को काफी दुख पहुंचा. उन्होंने युद्ध का जिम्मेदार अपनी माता को बताया और समूल नारी जाति को श्राप दिया कि आज के बाद कोई भी नारी अपना भेद नहीं छुपा पाएगी. महाभारत में कुंती को दिया गया यह श्राप आज के युग में चरितार्थ होता नजर आ रहा है.


karna-kunti


एक भयानक बीमारी ने आज उसे दुनिया का मसीहा बना दिया है


यह तो रही एक घटना, लेकिन महाभारत में एक और ऐसी घटना है जिसका जिक्र बहुत ही कम जगह हुआ है. सेक्स शब्द जिसका संबंध निजता से है वह कुत्ता प्रजाति के लिए सार्वजनिक कैसे बन गया. वह जब सेक्स करते हैं तो पूरी दुनिया देखती है. इसका भी उत्तर महाभारत की एक घटना के जरिए ढूंढ़ते हैं. जैसा कि हम सबको पता है कि माता कुंती की वजह से द्रौपदी पांचों पाण्डु पुत्रों की भार्या बनीं. दरअसल स्वयंवर रचाने के बाद जब अर्जुन अपनी पत्नी द्रौपदी को साथ लेकर माता कुंती के पास पहुंचे और द्वार से ही अर्जुन ने पुकार कर अपनी माता से कहा, ‘माते! आज हम लोग आपके लिए एक अद्भुत भिक्षा लेकर आए हैं’. इस पर कुंती ने भीतर से ही कहा, ‘पुत्रों! तुम लोग आपस में मिल-बांट उसका उपभोग कर लो.’ बाद में यह ज्ञात होने पर कि भिक्षा वधू के रूप में है, कुंती को अत्यन्त दुख हुआ किन्तु बाद में माता के वचनों को सत्य सिद्ध करने के लिए द्रौपदी ने पांचों पांडवों को पति के रूप में स्वीकार कर लिया.


Pandavas


पांचों पुत्रों से शादी के करने के बाद यह तय हुआ कि कोई भी द्रौपदी के शयन कक्ष में दाखिल होगा तो उसे द्वार के बाहर अपनी पादुका उतारनी होगी जिससे यह पता चल जाएगा कि पांचों भाइयों में से कोई एक भाई शयन कक्ष में है. एक बार की घटना है. युधिष्ठिर द्रौपदी के शयन कक्ष में पहले से ही मौजूद थे. उन्होंने नियम अनुसार अपनी पादुका द्वार के बाहर उतार दी थी. कुछ समय बाद उनकी पादुका को एक कुत्ता उठा ले गया और नोचने लगा.


जानना चाहेंगे इस सबसे पुरानी पहाड़ी का रहस्य जहां सबसे पहले च्यवनप्राश की उत्पत्ति हुई


147083304


द्वार के बाहर पादुका न होने की वजह से जब भीम शयन कक्ष में दाखिल हुए तो उन्होंने अपने ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर को द्रौपदी के साथ अंतरंग संबंधों में लिप्त देख लिया. वह क्रोधित होकर कक्ष से बाहर आए और कुछ दूर जाकर उन्होंने देखा कि एक कुत्ता महाराज युधिष्ठिर की पादुका को नोच रहा है. भीम का क्रोध और बढ़ गया. उन्होंने समूल कुत्ता प्रजाति को यह श्राप दिया कि “यह देख जिस तरह आज मैं खुद में शर्म महसूस कर रहा हूं उसी तरह पूरी दुनिया भी तुम्हें सेक्स करते हुए देखेगी.”


Read more:

शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति का क्या संबंध है

अपने बारे में जानने के लिए कर रहे हैं आमंत्रित ‘दूसरी दुनिया के लोग


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to मधुकर पारेCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh