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आखिर क्यों मरने से पहले अपनी ही कब्र को शाप दिया था विलियम शेक्सपीयर ने, शेक्सपीयर के डर की एक हैरान कर देने वाली कहानी

जिंदा रहते हुए आप कई चीजों से डरते हैं, मौत से भी कई लोग डरते हैं लेकिन स्वर्ग-नर्क की दुनिया मानने वालों की छोड़ दें तो मरने के बाद की जिंदगी के लिए कोई नहीं डरता. महान नाटककार शेक्सपीयर ऐसे लोगों में अपवाद हैं. हाल में जिंदा रहते हुए शेक्सपीयर के डर का एक कारण जो सामने आया है वह चौंकाने वाला है. शेक्सपीयर पूरी जिंदगी मौत से नहीं बल्कि मरने के बाद की अपनी जिंदगी से डरते रहे और इस डर से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने मौत से पहले खुद हो शाप दिया था. लेकिन ऐसा क्या था जिसके लिए शेक्सपीयर को ऐसा करना पड़ा और क्या था वह अभिशाप जो अब भी शेक्सपीयर की कब्र को शापित बना रही है?


William Shakespeare



शेक्सपीयर की जिंदगी में शाप का कितना महत्व था यह जानना तो मुश्किल है लेकिन जिंदा रहते हुए और मरने के इतने सालों भी शाप से किसी न किसी तरह उनका नाता जुड़ता रहा है. अपने जमाने में चुड़ैल पात्रों पर लिखा गया पहला नाटक शेक्सपीयर के पहले नाटक मैकबेथ को शापित माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस नाटक पर चुड़ैलों का शाप है जो नाटक में अभिनय कर रहे अभिनेताओं को नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि कुछ लोग इसे अफवाह मानते हैं लेकिन कई बार वास्तव में इसमें अभिनय कर रहे लोगों को नुकसान पहुंचा है. माना जाता है ऐसा नाटक में बहुत अधिक अंधेरे होने के कारण दुर्घटनावश ऐसा हो जाता है. खैर यह तो नाटक की बात थी लेकिन मरने के बाद खुद शेक्सपीयर से भी ऐसी एक शापित कहानी जुड़ी है और माना जाता है कि शेक्सपीयर ने मरने से पहले खुद ही खुद को शाप दिया था.


Macbeth

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शेक्सपीयर का यह शाप उनकी कब्र से जुड़ा है. माना जाता है कि मरने से पहले शेक्सपीयर ने अपने कब्र को खुद शाप दिया था. लेकिन ऐसा क्यों? शेक्सपीयर की कब्र पर चार लाइनों की कविता लिखी हुई है. इसके अनुसार जो भी व्यक्ति कब्र के पास आएगा वह शापित हो जाएगा. इसके पीछे हकीकत क्या है यह तो नहीं पता पर शोधकर्ता शेक्सपीयर द्वारा खुद ऐसा किए जाने को नहीं मानते. उनका तर्क है कि कोई भी इंसान मरने के बाद खुद ऐसा कर नहीं सकता. उनके अनुसार यह कविता शेक्सपीयर के परिवार ने कब्र पर खुदवाई है. इसकी सच्चाई जो भी हो लेकिन इस शाप के पीछे के कारण दिलचस्प हैं.




शेक्सपीयर के समय में कई बार जगह की कमी के कारण कब्रों को उनकी कब्रगाह से निकालकर वहां दूसरा शव दफना दिया जाता था. सड़ी-गली हड्डियों को इधर उधर फेंक दिया जाता था या खेतों में खाद के रूप में प्रयोग कर लेते थे. कई बार तो शोधकर्ता भी कब्रों से शवों को निकाल लिया करते थे और वह शव वापस अपनी कब्र नहीं पाते थे. शेक्सपीयर को डर था कि उनकी कब्र के साथ भी ऐसा हो सकता है. इसलिए शायद उन्होंने अपने कब्र को शापित कब्र होकर उससे दूर रहने की सलाह उस पर खुदवा दी हो. संभवत: उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके परिवार वालों ने ऐसा किया हो. जो भी हो प्रसिद्ध नाटककार की अपनी जिंदगी का यह डर जानने पर हैरान करता है.


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