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जब आत्महत्या नहीं करनी थी तो क्यों वह 150 फीट गहरी खाई में कूद गया, पढ़िए एक दहलाने वाली हकीकत

एक ओर कुंआ तो दूसरी ओर गहरी खाई। क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? या ऐसी घटनाएं जो आपको ज़िंदगी और मौत के मोड़ पर लाकर खड़ा कर दें? जहां आने के बाद आगे ज़िंदगी कहां लेकर जाएगी आप नहीं जानते। कुछ ऐसी ही दिल दहलाने वाली सच्ची घटनाएं हम आपको बताएंगे जिन्हें पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे।


जान हथेली पर थी, फिर भी निभाई दोस्ती…

पेरू में एक विशाल पहाड़ पर रोचक और साहसिक कर्तब दिखाने गए दोस्त शायद ही ज़िंदा बचकर आते क्या किसी ने सोचा था? जोअ सिंपसन और साइमन येट्स, दो दोस्त 21,000 फीट ऊंचे पहाड़ पर थे जब अचानक सिंपसन की टांग टूट गई। स्थिति तब और भी गंभीर हो गई जब उन्होंने खुद से बंधी एक महत्वपूर्ण रस्सी का साथ खो दिया। अब वह दोनों काफी कठिनाई से संतुलन बनाए हुए थे लेकिन कब तक वह ऐसे रह सकते थे। और अंत में खुद येट्स ने ही अपनी कुर्बानी देते हुए 150 फीट गहरी खाई में कूद जाने का निश्चय किया।


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रालस्टन ने लगाई मदद की पुकार, पर कोई ना सुन पाया…

खुद की जान बचाने के लिए कई बार हमें कुछ कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। कुछ ऐसा ही किया क्लाइंबर एरन रालस्टन ने। अप्रैल 2003 में उटाह में रालस्टन की बाजू अचानक एक पत्थर में फंस गई। मजबूर रालस्टन ने कई पुकारें लगाई पर कोई ना सुन पाया। अंत में किसी भी तरह की मदद ना मिलने पर रालस्टन ने अपने दर्द से मुक्त होने का फैसला किया और अपनी बाजू को शरीर से अलग कर खुद को वहां से निकालना ही ठीक समझा।


रालस्टन के साथ बीती इस सच्ची घटना को ‘127 आवर्स’ नाम की फिल्म में भी दर्शाया गया है।


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वो मां है, फिर भी केवल एक बच्चे की जान बचाई उसने

एक मां के लिए उसके सभी बच्चे एक बराबर होते हैं लेकिन एक घटना यदि आपको अपने बच्चों में से किसी एक को चुनने पर मजबूर कर दे तो आप क्या करेंगे? कुछ ऐसा ही हुआ जिलियन सिएर्ल के साथ। फुकेट में साल 2004 की सुनामी ने इस मां को इतना मजबूर कर दिया कि उसे अब अपने दोनों बेटों में से किसी एक को बचाने की जरूरत पड़ गई। अचानक आई सुनामी ने उनके रिज़ॉर्ट को नष्ट कर दिया और अंत में जिलियन ने अपने बड़े बेटे को एक महिला को सौंप कर सिर्फ उसे ही बचाना उचित समझा।


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72 दिनों तक ढूंढी मदद, अंत में मिली सफलता

अक्टूबर 1972, उरुगुआन की रग्बी टीम का जहाज़ एंडीज़ के पहाड़ पर फंस गया। 45 यात्रियों में से केवल 16 बच पाए लेकिन उस सन्नाटे में वो किसी भी मदद की गुहार ना लगा सके। अंत में उन 16 लोगों ने वहां से उठकर मदद ढूंढने की ठानी और करीब 72 दिनों तक चलने के बाद उन्हें वायु बचाव सेवा ने बचा लिया।

इन बहादुर 16 लोगों पर बॉलीवुड में ‘एलाइव’ नाम की एक फिल्म भी बनाई गई।


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घना रेगिस्तान, और जीने के लिए खाना पड़ा सांप

अनजान जगह और दूर-दूर तक कोई ना हो सुनने वाला, कैसे जीएंगे आप? मौरो प्रोस्पेरी, जाने माने खिलाड़ी जब सहारा रेगिस्तान गए तो उन्हें यह अंदाज़ा भी नहीं था कि वो इस राह पर खो जाएंगे। इस विशाल रेगिस्तान ने मौरो को जीने के कई तरीके सिखाए। ज़िंदा रहने के लिए मौरो ने सांप और छिपकली को अपना भोजन बनाया और बेहद ठंडी रातों से बचने के लिए खुद को रेत में ढका। कई दिनों के प्रयास के बाद मौरो को एक प्रवासी ने बचाया।


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