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वो अपनी दुनिया में इंसानों को आने नहीं देते, जानिए उन स्थानों के बारे में जहां इंसानों को जाने की मनाही है

इस दुनिया में बहुत सी ऐसी जगह हैं, जहां इंसानों के जाने की मनाही है. ऐसा माना जाता है कि यहां मृत लोगों की आत्माओं का वास है, इसलिए यहां जीवित मनुष्यों के आने से उनकी शांति में खलल पैदा हो सकता है. जाहिर तौर पर अपनी दुनिया में किसी और का दखल उन्हें बर्दाश्त नहीं होता और वे हर संभव कोशिश कर उन घुसपैठियों को भगाने की जुगत में जुट जाते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही स्थानों का पता बता रहे हैं, जहां इंसानों का जाना निषेध है या फिर किसी ना किसी भय के कारण स्वयं मनुष्य ने ही वहां जाना प्रतिबंधित किया हुआ है.


क्राइस्ट ऑफ द एबीज, इटली: 17 मीटर गहराई में 22 अगस्त,1954 को क्राइस्ट की विशालकाय पीतल की मूर्ति को पानी के अंदर रखा गया है. इस तरह की कई मूर्तियां अलग-अलग स्थानों पर मौजूद हैं लेकिन यहां आने-जाने वाला कोई नहीं है.

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कोलमैंस्कॉप, नामिब रेगिस्तान: दक्षिणी नामीबिया के नामिब रेगिस्तान में स्थित है घोस्ट टाउन या भूतहा शहर. बहुत पहले की बात है इस रेगिस्तान में बहुत भयंकर रेतीला तूफान आया था. इस तूफान से बचने के लिए डिलिवरी ब्वॉय जॉन कोलमैन अपनी बैलगाड़ी को वहीं छोड़कर भाग गया था. तूफान शांत होने के बाद ना तो उसकी बैलगाड़ी मिली और ना ही वो खुद. कभी बहुत छोटा सा रेगिस्तान जो खनन के लिए प्रसिद्ध था आज एक टूरिस्ट स्थल है लेकिन दहशत भरी दास्तां ज्यादा लोगों को यहां आने नहीं देती.

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डोम हाउस, दक्षिण-पश्चिमी फ्लोरिडा: नैपल्स में वर्ष 1981 में बनाए गए इगलू के डिजाइन के ये घर, भविष्य को ध्यान में रखकर निर्मित किए गए हैं. लेकिन अफसोस सरकारी मसलों में उलझने के बाद अभी तक इन्हें पूरा नहीं करवाया जा सका इसलिए अभी तक यहां लोगों की पहुंच नहीं बन पाई है.

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वंडरलैंड एम्यूजमेंट पार्क, बीजिंग: बीजिंग (चीन) से करीब 20 मील दूरी पर स्थित इस एम्यूजमेंट पार्क के निर्माण का काम कई बार शुरू हुआ पर किसी ना किसी वजह से वह अधूरा ही रहा. वर्ष 1998 में इसलिए रुका क्योंकि इसे बनाने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं थी तो वर्ष 2008 में किसी अन्य कारण ने इस एम्यूजमेंट पार्क का निर्माण नहीं होने दिया. स्थानीय लोग इस स्थान को श्रापित मानते हैं और यहां आना-जाना पसंद नहीं करते.


प्रिप्यात, यूक्रेन: उत्तरी यूक्रेन स्थित प्रिप्यात एक घोस्ट टाउन के तौर पर जाना जाता है. इस स्थान पर ज्यादा लोग आना-जाना पसंद नहीं करते.

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अंगकोर वाट, कम्बोडिया: हिंदू धर्म से संबंधित दुनिया का सबसे बड़ा कॉम्प्लेक्स और विशाल समाधि वाला मंदिर है. खमेर के राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने 12वीं शताब्दी की शुरुआत में यशोधरापुर (खमेर की राजधानी) में इस मंदिर का निर्माण करवाया था. उस दौर के सभी राजा शैव धर्म से संबंधित मंदिरों का निर्माण करवा रहे थे लेकिन ये मंदिर संपूर्ण रूप से विष्णु को समर्पित है. पहले ये मंदिर हिन्दुओं के लिए धार्मिक स्थल था, आज बौद्ध धर्म के अनुयायी इस मंदिर में आते हैं.


एल होटल डेल सेल्टो, कम्बोडिया: कम्बोडिया की राजधानी बगोटा से करीब 30 मील दूरी पर स्थित ये होटल पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है. वर्ष 1928 में इस होटल का निर्माण अमीर पर्यटकों के लिए विशेषतौर पर किया गया था. लेकिन जैसे-जैसे बगोटा नदी दूषित होने लगी उसके किनारे बना यह होटल भी पर्यटकों की दिलचस्पी से हाथ धोता रहा. इस होटल में कई लोगों ने आत्महत्या भी की है और लोगों का मानना है कि यहां उनकी आत्माएं भटकती हैं. इस कारण यहां अब लोगों का आना-जाना बंद है.


नारा ड्रीमलैंड, जापान: वर्ष 1961 में कोलंबिया के डिज्नीलैंड से प्रेरित होकर बनाया गया जापान का यह पार्क, जुलाई 2006 में स्थायी तौर पर बंद कर दिया गया क्योंकि यहां पर्यटकों की जान को हमेशा खतरा रहता था.

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