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अजीबोगरीब रहस्य में उलझे इस मंदिर में शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए स्वयं गंगा जमीन पर आती हैं

दुष्टों का संहार करने वाले भगवान शिव के हाथ इस पृथ्वी की तीसरी सबसे बड़ी जरूरत विनाश, की बागडोर हैं. अपने रौंद्र रूप से डराने वाले भगवान शिव कभी एक प्रेमी की तरह पहचाने जाते हैं तो कभी एक ऐसे पिता के तौर पर पहचान पाते हैं जो अपने बच्चों के साथ कभी अठखेलियां करता है तो कभी उनकी अलग-अलग परीक्षाएं लेता है.



पर वास्तव में शिव हैं कौन, ईश्वर, मानव या फिर कोई देवदूत? शिव को दुनिया का सर्वोत्तम तपस्वी या आत्मसंयमी व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है, ऐसा योगी जिसकी एकाग्रता को भंग किया जाना असंभव है. पर साथ ही वह एक ऐसे देव भी हैं जो भांग और धतूरों के मद में मस्त रहते हैं. इनका ना तो कोई बचपन है ना कोई बुढ़ावा और ना ही इन्होंने अपनी मां के गर्भ से जन्म लिया है. वह अमर हैं, अजन्में हैं.



यूं तो भारत, जहां कदम-कदम पर चमत्कार होते रहते हैं, में विभिन्न देवी–देवताओं की पूजा की जाती है वहां शिव एक ऐसी शक्ति हैं जिनके साथ मानव की आस्था सदैव जुड़ी रही है. शिव के मंदिरों से जुड़ी चमत्कारिक घटनाएं भी काफी लोकप्रिय रही हैं.



आज हम आपको झारखंड के रामगढ़ में बने एक ऐसे ही शिव मंदिर से परिचित करवाने जा रहे हैं जहां गंगा का जल अपने आप शिवलिंग पर गिरता है लेकिन गंगा की इस धार का उद्भव कहां से है कोई इस रहस्य को समझ नहीं पाया है.



‘टूटी झरना’ नाम से विख्यात इस मंदिर में 24 घंटे शिवलिंग पर जलाभिषेक होता है और वो स्वंय गंगा करती हैं लेकिन कैसे ये बात अभी तक कोई समझ नहीं पाया है. यह मंदिर अंग्रेजों के समय से मौजूद है और जब अंग्रेजी प्रशासन को इस मंदिर और यहां होने वाले चमत्कार के बारे में पता चला तो वे स्वयं इसे देखने आए. शिवलिंग पर बिना किसी स्त्रोत के गंगा का पानी गिरने जैसी घटना को देखकर उनकी आंखें भी फटी की फटी रह गईं. इस मंदिर और यहां होने वाले चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.


tuti jharna

शिवलिंग के ऊपर मां गंगा की एक प्रतिमूर्ति स्थापित है जिसमें से अपने-आप पानी की धारा निकलते हुए शिवलिंग पर जलाभिषेक करती है. इतना ही नहीं मंदिर में लोगों के लिए पीने के पानी के लिए 2 हैंडपंप भी लगाए गए हैं लेकिन उन्हें भी चलाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती. उनमें से खुद ब खुद पानी निकलता है. मंदिर के पास जो नदी है वो भी सूखी हुई है लेकिन फिर भी मंदिर में पानी की कोई कमी नहीं है. ऐसा क्यों, इस सवाल के जवाब को ईश्वरीय चमत्कार मानकर छोड़ दिया जाता है.



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