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13 किलो का भारी-भरकम ट्यूमर लेकर कैसे जी रहा था यह इंसान


सोचें यदि आपको सारी जिंदगी एक ऐसी चीज का भार उठाना पड़े जो एक सामान्य इंसान अपने सपने में भी नहीं चाहेगा. यह भार कोई पारिवारिक बोझ नहीं है जिसे आप अपने परिवार के किसी दूसरे सदस्य पर लादकर मुक्ति पा सकते हैं बल्कि एक ऐसा बोझ है जो आप सोते, जागते, खाते-पीते हर समय याद करने पर मजबूर हो जाते हैं.

Tumor 1चीन के उत्तर पश्चिम शांसी प्रांत में 27 साल का एक युवक यांग हा किशोर अवस्था से ही पीठ पीछे 13 किलो का भारी भरकम ट्यूमर लेकर जी रहा था. शुरुआत में यह ट्यूमर बहुत ही छोटे अंडे के आकार का था, लेकिन बाद में यह बड़ी ही तेजी के साथ बड़ा आकार लेता गया. यांग हा की मानें तो उसे ट्यूमर की वजह से सोने में यहां तक की चलने-फिरने में भी बहुत दिक्कत होती थी जिस कारण उसे अपनी नौकरी भी खोनी पड़ी.


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लेकिन, यांग हा के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन तब आया जब स्थानीय गांव वालों ने यांग हा की तकलीफों और संघर्षों को समझा तथा उसकी मदद करने के लिए आगे आए. गांव वालों ने मिलकर 2000 पाउंड की व्यवस्था की तथा उसके पिता ने बाकी के 10000 पाउंड उधार लेकर उसका ऑपरेशन कराया और ट्यूमर को उसके शरीर से अलग कराने में कामयाबी हासिल की.


उत्तर पश्चिम शांसी प्रांत की राजधानी शीआन के एक हॉस्पिटल में नौ घंटे चले इस ऑपरेशन में ट्यूमर का अधिकतर भाग यांग हा से अलग कर दिया गया जो उसके पीठ से गर्दन तक पहुंच चुका था. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि ऐसी स्थिति में यांग हा का ऑपरेशन करना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ऑपरेशन के दौरान हा के शरीर में 20000 एमएल यानि लगभग 20 लीटर खून डाला गया जो की एक बहुत बड़ी मात्रा थी. इसके बावजूद यांग हा इन घोर कष्टप्रद हालातों से उबरकर जीवित रहा.


सफलतापूर्वक ऑपरेशन के बाद आज यांग हा भारी भरकम बोझ के बिना दर्दरहित चल-फिर सकता है. उसका यह रूप देखकर उसके गांव का हर व्यक्ति खुश है.


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