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तुम भटकती रूहों को महसूस कर सकते हो?

जिन्दगी और मौत का सिलसिला चलता रहता है. कहते हैं जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसका मरना निश्चित है. बहुत से लोग तो इस बात पर भी विश्वास रखते हैं कि पैदा होने से पहले ही यह निर्धारित हो जाता है कि संबंधित व्यक्ति की मौत कहां, कैसे और कब होगी. इतना ही नहीं, पूर्वजन्म और पुनर्जन्म की अवधारणा पर भी भरोसा रखने वाले बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अतृप्त और अशांत रूहों के इंसानी दुनिया में होने जैसी बातें भी मानते हैं.


लेकिन यह सवाल शायद ही किसी के जहन में आया हो कि आखिर जिन्दगी और मौत के इस सिलसिले की शुरुआत कहां और किसने की? वैसे तो विभिन्न देशों में इस विषय से जुड़ी भिन्न-भिन्न कहानियां मौजूद हैं लेकिन आज हम आपको अंडमान द्वीप समूह के निवासियों के बीच चर्चित एक ऐसा कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका संबंध जिन्दगी और मौत के चक्रव्यूह से जुड़ा है.


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कहते हैं अंडमान द्वीपसमूह पर रहने वाला व्यक्ति यरामुरुद पहला ऐसा इंसान था जिसने जिन्दगी के बाद मौत का स्वाद भी चखा था….इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि अपनी मृत्यु के बाद रूह बनकर वापस भी लौट आया था. सुनने में भले ही यह सब आपको एक अच्छा टाइमपास लगे लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार यरामुरुद के मरने के पीछे एक बेहद दर्दभरी कहानी छिपी है जो हम आपको बताने जा रहे हैं.




अंडमान द्वीपसमूह पर यरामुरुद अपनी मां और भाई के साथ रहता था. एक बार यरामुरुद शिकार पर गया लेकिन वह किसी भी जानवर को मारने में सफल नहीं हुआ और खाली हाथ घर लौट आया. उसकी मां को बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर भी वह घर में पहले से ही रखे मांस को यरामुरुद के सामने ले आई और उसे मांस को काटने के लिए कहा. यरामुरुद मांस काटने ही लगा था कि वह चाकू उसके अपने हाथ में लग गया और यह सब देखकर उसकी मां ने कहा कि “तुम मर चुके हो, हम तुम्हें अपने साथ देखना नहीं चाहते इसलिए तुम यहां से दूर चले जाओ.


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असफल शिकार से लौटने के बाद उसकी मां वैसे ही बहुत क्रोधित थी इसलिए वह अपने दूसरे बेटे के साथ मिलकर यरामुरुद को जबरन दफनाने चल पड़ी. यरामुरुद को जमीन में गाड़ने के बाद वह जब घर लौटे तो यरामुरुद पहले से ही घर में मौजूद मिला. उसने अपनी मां से पूछा कि मैं मरा नहीं था तो तुमने मुझे जमीन में क्यों दफनाया? उसकी मां से कहा कि अब इस घर को और मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है इसलिए तुम्हारा मरना ही सबके लिए सही है. मां और भाई ने मिलकर कई बार यरामुरुद को दफनाने की कोशिश की लेकिन हर बार वह मौत के मुंह से वापस आ जाता था.


बार-बार की इस कोशिश से यरामुरुद की मां परेशान हो गई और उसे जंगल में ले गई और वहां एक पेड़ को खोदकर अपने बेटे को उसके भीतर जाकर आत्माओं और शैतानी ताकतों की आहट सुनने को कहा. अपनी मां की बात सुनकर यरामुरुद पेड़ के अंदर चला गया और जब उसे शैतानी शक्तियों का आभास होने लगा तो उसकी मां ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस घटना के कुछ दिन बाद यरामुरुद भटकती रूह के रूप में अपने घर वापस आया और अपने भाई और मां को मौत के घाट उतार दिया.


अंडमान द्वीपसमूह के लोग इस दर्दनाक मौत को ही जीवन के बाद होने वाली मृत्यु का आधार मानते हैं.


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आज भी उस घर में कोई रोता है…..!!



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