डरावनी जगह देखने के शौकीनों के लिए यह जगह है. मेक्सिको से दक्षिण, जोचिमिको कनाल के बीच ‘ला इस्ला डे ला म्यूनेकस ’ नाम की जगह है जो कहने को तो खूबसूरत ‘हैंगिंग गार्डन’ है लेकिन 2001 के बाद यह जिस चीज के लिए प्रसिद्ध हुआ है वह है ‘डरावनी गुड़ियों की जगह’ होने के कारण. जैसा कि तस्वीर में आप देख रहे हैं यह आइलैंड ऐसी गुड़ियों से भरा पड़ा है.
ला इस्ला डे ला म्यूनेकस डरावनी जगह के नाम से मशहूर है और आज एक टूरिस्ट प्लेस बन चुका है. इस जगह पर आने वाले लोग बिना गाइड के आइलैंड घूम नहीं सकते. हालांकि सरकारी तौर पर इस आइलैंड को हॉंटेड प्लेस के नाम पर अधिकृत नहीं किया है लेकिन यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि दर्जनों की तादाद में पेड़ों पर लटके गुड्डे-गुड़िया एक-दूसरे से कानाफूसी करते हैं, आंखें घुमाते हैं, इशारों से बुलाते हैं वगैरह-वगैरह. यहां रहने वाले लोग भी कम नहीं हैं लेकिन इससे कहीं ज्यादा की संख्या में भुतहा माने जाने वाले गुड्डे-गुड़ियों की संख्या है. लेकिन यह आइलैंड हमेशा ऐसा नहीं था. लगभग एक दशक पहले यह साधारण आइलैंड की तरह ही था. 2001 में साधारण से हॉंटेड आइलैंड बनने के पीछे भी एक लंबी कहानी है.
यह जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह डॉन जूलियन सैन्टाना बरेरा (Don Julian Santana Barrera) की है. डॉन जूलियन 2001 तक इस आइलैंड का केयर टेकर था. 2001 में इसकी मौत हुई और तब से यह आइलैंड हॉंटेड पर्यटन स्थल बन गया. इस कहानी के पीछे लोग इन्हीं को मानते हैं. दरअसल लोगों का मानना है कि इन गुड़ियों में एक छोटी बच्ची की आत्मा है जिसकी रहस्मय परिस्थियों में कुछ वर्षों पहले आकस्मिक मौत हो गई थी. लोगों का मानना है कि लड़की की तैरती हुई लाश डॉन जूलियन को ही मिला था. लड़की की तब तक मौत नहीं हुई थी लेकिन डॉन जूलियन लड़की को बचा नहीं सका. कहते हैं बच्ची की मौत के कुछ देर बाद बहती हुई एक गुड़िया आई. डॉन जूलियन ने इसे बच्ची की गुड़िया मानकर जहां बच्ची की मौत हुई थी उसी जगह पेड़ पर लटका दिया. डॉन जूलियन के अनुसार उसके बाद एक के बाद एक कई गुड़िया उसे मिली और वह बच्ची की आत्मा की शांति के लिए उन्हें पेड़ों पर लटकाता रहा. लेकिन लोगों का मानना है कि डॉन जूलियन के अंदर बच्ची को न बचा पाने का पछतावा था और इसी पछतावे में वह बच्ची के नाम पर गुड़ियों को पेड़ों पर टांगता रहा और तरह यह 2001 में इसकी मौत तक हॉंटेड गुड़ियों का जमावड़ा लग चुका था.
स्थानीय लोग इन गुड़ियों में बच्ची की आत्मा होने का विश्वास रखते हैं. इनका मानना है कि डॉन जूलियन भी बच्ची की मौत के बाद धीरे-धीरे आत्मा के कब्जे में आ गया था और उसी की प्रेरणा से उसने इन गुड़ियों को पेड़ों पर लटकाया था. 2001 में डॉन जूलियन की मौत भी बच्ची की मौत की जगह पर ही होने के बाद लोगों का इसपर विश्वास और बढ़ गया. इनके अनुसार ये गुड्डे-गुड़िया सिर हिलाकर एक-दूसरे से बातें करते हैं और लोगों को अपनी तरफ बुलाते भी हैं. बहरहाल असली हॉंटेड प्लेस की तलाश में रहने वालों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र है.
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