Menu
blogid : 7629 postid : 462

भगवान की जगह चमगादड़ों की पूजा!!

batsदेखने में चमगादड़ जितने खतरनाक और डरावने लगते हैं उन्हें उतना ही अशुभ या दुर्भाग्य का सूचक भी माना जाता है. यह मानसिकता अब इतनी सामान्य और प्रबल हो चुकी है कि शायद कोई भी इसके पीछे छिपे कारण को जानने का प्रयास नहीं करता. लेकिन बिहार के वैशाली जिले के सरसई गांव व ऐतिहासिक वैशाली गढ़ में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग उन्हें अपना रक्षक भी मानते हैं.


वैशाली गढ़ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहीं वजह है कि वहां पर्यटकों का आना-जाना लगा ही रहता है. जो पर्यटक यहां आते हैं वह चमगादड़ों की पूजा-अर्चना होती देख दंग रह जाते हैं. स्थानीय लोग चमगादड़ों को समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के ही समान मानते हैं. गांव के बुजुर्गों का तो यह भी कहना है कि चमगादड़ों को अशुभ मानकर उनकी अवहेलना करना एक भ्रम है जबकि सच तो यह है कि जहां चमगादड़ रहता है वहां कभी धन की कमी नहीं होती.


इस गांव में आज भी लोग कहीं जाते समय अपने घरों में ताले नहीं लगाते, लेकिन फिर भी यहां कभी भी चोरी नहीं होती. हालांकि गांव वालों को यह ठीक से याद नहीं कि चमगादड़ों की पूजा करना कब से शुरू हुआ है लेकिन वह इसे अपनी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझते हैं.


batइतिहास का अध्ययन करने वाले गांव के ही एक छात्र का कहना है कि मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई. इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए. इसके बाद से यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई.


गांव में स्थित पीपल के पेड़ों पर बहुत से चमगादड़ अपना बसेरा बना चुके हैं. वह यहां आराम से रहते हैं और गांव वाले इनकी पूरी सुरक्षा करते हैं. यही कारण है कि यहां चमगादड़ों की संख्या में दिनोंदिन वृद्धि भी होती जा रही है. यहां ग्रामीणों का शुभकार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता. वैज्ञानिकों का भी कहना है कि चमकादड़ों के शरीर से जो गंध निकलती है वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं.

आत्मा का रहस्य


ग्रामीण लोग प्रशासन से बहुत नाराज हैं क्योंकि चमगादड़ों को देखने के लिए बहुत से पर्यटक यहां आते हैं लेकिन चमगादड़ों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नही हैं. पिछले वर्ष वैशाली गढ़ पर स्थित एक तालाब सूख गया था जिस कारण 200 से ज्यादा चमगादड़ मर गए, इसके बाद प्रशासन ने तो कुछ किया नहीं लेकिन क्षेत्र के समाजसेवियों ने यहां के तालाब में पानी भरवाया जिससे चमगादड़ों की जान बच सकी. पर्यटकों का भी कहना है कि चमगादड़ों की पूजा और उनकी सुरक्षा को देखना बहुत अलग अनुभव है इसीलिए प्रशासन द्वारा कुछ प्रभावकारी इंतजाम किए जाने चाहिए.

ऐसा आपके साथ भी हो सकता है

एक शहर जहां जमीन में गड़े हैं हीरे जवाहरात

राज से पर्दा उठेगा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to amritaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh