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छिपे रहस्यों को प्रदर्शित करती है आपकी हैंडराइटिंग !!

handwritingकंप्यूटर और मोबाइल तकनीकों के विकास से पहले लोग चिट्ठी और ग्रीटिंग कार्ड के जरिए अपनी सूचना दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों तक पहुंचाते थे. कोई शुभ समाचार देना हो या फिर सामान्य वार्तालाप करनी हो, प्राय: समान और प्रमुख रूप से सभी अपने हाथ से लिखकर चिट्ठियां ही संप्रेषित करते थे. हाथ से खत लिखकर भेजने के फायदे तो बहुत थे लेकिन इसका एक बहुत भारी और व्यक्तिगत नुकसान जो ज्यादा दुखदायी था वो यह कि जिन लोगों की हैंडराइटिंग बहुत बुरी होती थी वह स्कूल, कॉलेज में भले ही अध्यापकों से डांट खाते हों लेकिन निजी जीवन में भी उनकी अति सुंदर लिखावट की पोल खुल जाती थी.


लेकिन समय बदलने और इंटरनेट जैसी सुविधाओं के आगमन के बाद हाथ से लिखे पत्रों की महत्ता पूरी तरह समाप्त हो चुकी है. अब आपकी हैंडराइटिंग के दुर्लभ दर्शन या तो आपके अध्यापकों को होते हैं या फिर आपके एक्जामिनर को. क्योंकि बाकी सब कामों के लिए तो इंटरनेट और एसएमएस ही सबसे उत्तम साधन माना जाता है.


हाथ से लिखे पत्रों का महत्व भले ही कम हो गया हो लेकिन आपकी लिखावट आज भी आपके कुछ छुपे हुए राज खोल सकती है.


हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स का मानना है कि किसी व्यक्ति की लिखावट देखकर उसके स्वभाव, व्यक्तित्व और व्यवहार के बारे में आसानी से जानकारी मिल सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग के द्वारा जाली दस्तावेजों और हस्ताक्षर का पता तो लगाया ही जा सकता है लेकिन इससे किसी भी व्यक्ति की प्रकृति, उसकी जीवनशैली और स्वभाव के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.


जो लोग बहुत लापरवाह होते हैं उनकी हैंडराइटिंग प्रबंधित नहीं होती, शब्द टेड़े-मेढ़े लिखे होते हैं. लेकिन जो लोग सोच-समझकर और सावधानी से काम करते हैं वह बहुत अच्छी तरह और सुंदर लिखावट में लिखते हैं.


हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स लिखावट को ब्रेन राइटिंग भी कहते हैं. उनका कहना है कि इससे व्यक्ति के दिमाग में चलने वाली सोच और मानसिकता का भी पता चल सकता है.


कहते हैं 12-15 वर्ष का बच्चा अपने अध्यापकों और माता-पिता की इच्छानुसार लिखता है, लेकिन 18-24 वर्ष के बाद बच्चों की हैंडराइटिंग में उनका स्वभाव साफ प्रदर्शित होता है.

उल्लेखनीय है कि हैंडराइटिंग के आधार पर ना सिर्फ आपके स्वभाव और प्रकृति का पता लगाया जा सकता है बल्कि आपकी शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी हैंडराइटिंग में प्रदर्शित होती हैं.


इसका आशय यह है कि अगर आप ब्लड-प्रेशर या तनाव से पीड़ित हैं तो आपकी हैंडराइटिंग दूसरे लोगों को आपकी परेशानी स्वत: ही बता सकती है. हैंडराइटिंग का आंकलन करने वाली स्टडी को ग्रेफोलॉजी और लिखावट में बदलाव कर व्यक्ति का इलाज करने की प्रक्रिया को ग्रेफोथेरेपी कहा जाता है.


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