यहां जिसकी बात हम कर रहे हैं वहां आज खुले तौर पर शैतानों और साधारण आदमी में धर्मयुद्ध चल रहा है. शैतानों ने उनके देश पर हमला कर दिया है. बच्चों की बलि दी जा रही है. शैतानों के इन हमलों से भयभीत लोग धर्मगुरुओं की शरण में हैं. उनसे बचाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कितना बच पाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा.
भूत-प्रेत, शैतानों की विश्वसनीयता पर एक बहस चलती रहती है. कुछ इसे बकवास मानते हैं, कुछ को भूतों के अस्तित्व पर पूरा भरोसा है. यह सब सामान्य रूप से आम समाज में चलता रहता है. न इसे मानने के लिए किसी के पास आधार होता है, न किसी देश के लिए यह कभी बड़ा मुद्दा बना. लेकिन मैक्सिको में आजकल धर्मयुद्ध की सी स्थिति बन गई है. यहां आजकल बच्चों की बलि, मानव बलि की घटनाएं आम हो गई हैं. कहीं भी बच्चों की क्षत-विक्षत लाश मिल जाना आजकल यहां साधारण सी बात हो गई है. लोग इन घटनाओं से डर गए हैं. यहां के धर्मगुरुओं का मानना है कि साल 2006 में ही मैक्सिको पर शैतानों का हमला हो गया है और इसलिए ये मानव बलि की घटनाएं सामने आ रही हैं, खासकर बच्चों की बलि. लेकिन इस शैतानी हमले के पीछे जो कारण सामने आ रहे हैं वह कुछ और ही कहानी कहती है.
दरअसल आजकल मैक्सिको में ‘सेंट डेथ’ नाम से एक संप्रदाय लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. इस संप्रदाय के लोग शादी के जोड़े में कपाल की पूजा करते हैं. उनका मानना है कि यह ‘सेंट डेथ’ इन्हें सारी मुसीबतों से बचाएगा. इसपर विश्वास करने वाले लोगों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. मैक्सिको में अब तक इसके 80 लाख अनुयायी हैं. इसके अलावे मध्य अमेरिका और कनाडा में भी इसके अनुयायी हैं. इस संप्रदाय के लोग झाड़-फूंक पर बहुत विश्वास करते हैं. यही कारण है कि आजकल यहां झाड़-फूंक की घटनाओं में वृद्धि हुई है. धर्मगुरु इस संप्रदाय के लोगों में शैतान का वास होने की बात करते हैं. सेंट डेथ को मानने वाले ज्यादातर लोग ड्रग माफिया से जुड़े हैं. ये ड्रग्स की तस्करी करते हैं और पुलिस और प्रशासन से बचने के लिए वे सेंट डेथ कपाल की पूजा करते हैं. मानवों, बच्चों की बलि देते हैं.
धर्मगुरुओं का मानना है कि ये ड्रग तस्कर शैतानों के कब्जे में हैं. हालांकि ये यह भी कहते हैं कि ये अभी पूरी तरह शैतानों के कब्जे में नहीं हुए हैं. इसलिए झाड़-फूंक के द्वारा इन्हें निकाला जा सकता है.
धर्मगुरुओं के अनुसार यह संप्रदाय 18वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था. 2006 से पूरे मैक्सिको पर शैतानों के हमले के कारण आज यह संप्रदाय बढ़ रहा है. इनके ज्यादातर अनुयायी गरीब तबकों से हैं जो गरीबी के कारण अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते. इसे पूरा करने के लिए वे ड्रग्स माफिया में शामिल हो जाते हैं. इसमें उन्हें पुलिस और प्रशासन द्वारा गिरफ्तारी का डर भी सताता है और उन्हें लगता है कि जीजस और मरियम उन्हें इस कार्य के लिए नहीं बचाएंगे. इसलिए सेंट डेथ की शरण में चले जाते हैं. धर्मगुरुओं की मानें तो उन्होंने गिरफ्तार हुए कई ड्रग माफिया के लोगों को झाड़-फूंक से ठीक किया है. आदमियों को टुकड़ों में काटने वाले गिरोह के एक सदस्य ने झाड़-फूंक में कबूल भी किया कि उसे लोगों की चीखें सुनना अच्छा लगता था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 70 हजार लोग इसमें मारे जा चुके हैं.
धर्मगुरुओं का मानना है कि 2007 में गर्भपात कानून को कानूनी बनाना शैतानों के इस बढ़ते प्रभाव का कारण बना है. हालांकि अलग-अलग लोगों की इसपर अलग-अलग राय है. कई लोग चर्च में बच्चों के यौन शोषण होने की घटनाओं को भी इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं. बहरहाल ड्रग माफिया और सेंट डेथ पर विश्वास करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या और इसके कारण बढ़ती मानव बलि लोगों में असुरक्षा और दहशत का माहौल बना रहा है. 2006 में मैक्सिको सरकार ने ड्रग्स तस्करों पर शिकंजा कसने की कोशिश भी की लेकिन अब तक इस दिशा में कोई खास सुधार नहीं हो पाया है. बल्कि इससे बचने के लिए धर्मगुरुओं का दिखाया झाड़-फूंक का रास्ता लोगों को अंधविश्वास की ओर ढकेल रहा है.
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