इस सुपर पॉवर इंसान ने उसे डराया जिसे हराने की कोई इंसान कभी सोच भी नहीं सकता. आप इन्हें सुपर मानव कह सकते हैं. एक ऐसा सुपर मानव जिसके दिमाग में अद्भुत शक्तियां हैं. एक ऐसा सुपर मानव जिसकी इस शक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकता. अब भारत का भाग्य कहें या दुनिया की मजबूरी..दुनिया को चौंकाने वाली यह शक्ति हमारे पास है.
चौंकाने वाली एक और बात यह है कि वह शक्ति कोई पुरुष न होकर एक स्त्री है. नाम है शकुंतला देवी. जी हां, हम शकुंतला देवी की ही बात कर रहे हैं. कंप्यूटर से भी तेज चलने वाले शकुंतला देवी की इस अद्भुत दिमागी कौशल को गूगल तक ने सलाम किया. शकुंतला देवी के सम्मान में इसने एक विशेष प्रकार का ‘स्टैटिक कैलकुलेटर गूगल डूडल’ बनाया.
दुनिया शकुंतला देवी को ‘ह्यूमन’ कम, ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ ज्यादा मानती है. उनकी विशेषता है उनकी कैलकुलेशन करने की क्षमता, जो वे कंप्यूटर से भी तेज कर सकती थीं. अप्रैल 2013 तक तो ऐसा ही था. शकुंतला देवी किसी भी तरह की कोई भी कैलकुलेशन कंप्यूटर से भी तेजी से करने के लिए प्रसिद्ध थीं. लेकिन अप्रैल 2013 में जो हुआ उसके बाद अगर वे चाहती भी होंगी तो भी ऐसा नहीं कर सकीं.
अप्रैल 2013 में शकुंतला देवी की मौत हो गई. इसलिए अपने करिश्माई दिमाग का उपयोग न वे कर सकती थीं, न हम उन्हें ऐसा करते हुए अब कभी देख सकते हैं. शकुंतला देवी की खासियत यह थी कि वे गणित का कोई भी, बड़ा से बड़ा कैलकुलेशन भी मिनटों में कंप्यूटर से भी तेजी से कर सकती थीं. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है. इसकी वास्तविकता जानने के लिए कई बार उनका टेस्ट भी किया गया. हर बार उन्होंने यह टेस्ट पास कर इसे सही साबित किया है. विज्ञान की दुनिया में शकुंतला देवी का दिमाग एक अजूबा और अबूझ पहेली है कि किस तरह वे कंप्यूटर, कैलकुलेटर से भी तेज गति से कैलकुलेशन करती हैं. हालांकि इस अद्भुत प्रतिभा के लिए सम्मानित शकुंतला देवी एक लेखिका और एस्टोलॉजर भी थीं. अपने जीवन में उन्होंने कई किताबें भी लिखीं.
उनकी इस प्रतिभा का आज हर कोई लोहा मानता है लेकिन सही मायने में अगर उनकी इस प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का श्रेय किसी को जाता है तो वे उनके पिता हैं जिन्होंने 3 साल की उम्र में ही शकुंतला देवी की इस प्रतिभा को पहचान लिया था. सबसे हैरानी की बात यह थी कि कंप्यूटर से भी इस तेज दिमाग महिला ने कभी पढ़ाई नहीं की. उनके पिता भी पढ़े-लिखे नहीं थे और सर्कस चलाते थे. एक बार कार्ड खेलते हुए जब शकुंतला देवी मात्र 3 साल की थीं, बेटी की नंबर्स को याद रखने की खासियत और कार्ड ट्रिक्स को तुरंत सीखकर पिता को हरा देना, उनके पिता के लिए भी हैरानी भरा था. उन्हें समझ आ गया कि उनकी बेटी का दिमाग सबसे अलग और कुछ खास है. 6 साल की उम्र में मैसूर यूनिवर्सिटी में उनकी इस प्रतिभा के सत्यापन के लिए टेस्ट किया गया जिसे शकुंतला ने पूरी तरह पास किया. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आर्थर जेंसन (Arthur Jensen) ने कई बार बड़े से बड़ा कैलकुलेशन देकर उनका टेस्ट किया लेकिन हर बार शकुंतला देवी पास हो गईं. इस तरह पूरी उम्र विज्ञान का करिश्मा कंप्यूटर को भी हराकर दुनिया के लिए करिश्माई बनी यह असाधारण महिला इस साल अप्रैल में 83 वर्ष की उम्र में काल के गाल में समा गईं. हम अब शकुंतला देवी के इस करिश्मे को अब कभी देख नहीं पाएंगे लेकिन हां, शकुंतला देवी एक ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ के रूप में दुनिया से सम्मानित होकर हमेशा भारत को भी सम्मानित करती रहेंगी.
एक तस्वीर जो अलग ही किसी दुनिया में ले जाती है
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