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एक रहस्यमय जगह जहां से कोई लौटकर नहीं आ पाता

haunted places in worldविज्ञान कितनी भी क्रांति क्यों न कर ले लेकिन आज भी कुछ रहस्य ऐसे हैं जिसके कारणों का पता विज्ञान भी नहीं लगा सका है. धरती पर ही कुछ ऐसी जगहें हैं जहां जाकर आज तक कोई लौट नहीं सका. लोग कहां गुम हुए  कोई नहीं जान सका. इसलिए आज तक वहां जाने का साहस शायद ही कोई जुटा सके. क्योंकि वहां जाने का अर्थ एक प्रकार से आत्महत्या करना है.


द डेडली ट्राएंगल, शैतानों का टापू आदि नामों से जाना जाने वाला बरमूडा ट्राएंगल पृथ्वी के सबसे रहस्मयी और हैरतंगेज स्थानों में से एक है. प्यूर्टोरिको, फ्लोरिडा और बरमूडा नामक तीन स्थानों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने वाला यह त्रिकोण अटलांटिक महासागर में अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है. एक लंबे समय से यह त्रिकोण वैज्ञानिकों और आम जन-मानस की उत्सुकता और जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है, जिसका कारण यहां से गुजरने वाले समुद्री जहाजों और नावों का गायब हो जाना है. बरमूडा के इस खतरनाक ट्राएंगल की सीमा में प्रवेश करने के बाद हवाई जहाज और समुद्री जहाज यकायक अपना रास्ता भटक जाते हैं और ना जाने किस दुनियां में खो जाते हैं. ना तो जहाज में सवार लोगों का ही कुछ पता चलता है और ना ही किसी भी प्रकार का कोई अवशेष हाथ लगता है.


वैसे तो इस रहस्यमयी ट्राएंगल के विषय में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं लेकिन अभी तक कोई भी इन घटनाओं की हकीकत तक नहीं पहुंच पाया है. बरमूडा ट्राएंगल से जुड़े अनेक तथ्यों में सबसे ज्यादा भयानक तथ्य यह है कि यह त्रिकोण अब तक 8, 000 लोगों को गायब कर चुका है या फिर उनकी जान ले चुका है. इस ट्राएंगल ने अब तक जिन जहाजों को अपना शिकार बनाया है उनमें से मुख्य हैं:


मैरी सेलेस्टी: 4 दिसंबर, 1872 को इस ट्राएंगल के मध्य मैरी सेलेस्टी नाम का एक अकेला और असहाय समुद्री जहाज पाया गया. लेकिन हैरानी की बात यह थी कि इसमें कोई भी जीवित या मृत व्यक्ति नहीं मिला. समुद्री लुटेरों का हाथ होने की बात भी इसीलिए प्रमाणित नहीं हो सकी, क्योंकि यात्रियों का कीमती सामान और खाने-पीने की वस्तुएं सभी अपने स्थान पर सुरक्षित पड़ी थीं. यह रहस्य अभी तक सुलझ नहीं पाया है कि जहाज में सवार यात्री और कर्मी कहां चले गए.

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वर्ष 1881 में एलन ऑस्टिन नामक एक समुद्री जहाज न्यूयॉर्क, अमेरिका के लिए निकला लेकिन वह रास्ते में ही कहीं खो गया और जब वह मिला तो उसमें सवार जहाज कर्मियों का कोई पता नहीं चला.


एसएस साइक्लोप्स: अमेरिका का यह लापता जहाज बरमूडा ट्राएंगल से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य है. मार्च 1918 में यूएसएस साइक्लोप्स 309 जहाज कर्मियों को लेकर निकला. बरमूडा ट्राएंगल को पार करते समय यह खो गया और आज तक इस जहाज का कुछ भी पता नहीं चला है. ना तो जहाज कभी मिला और ना ही जहाज में सवार लोग. उस दिन मौसम भी अनूकूल था. यहां तक कि जहाज में मौजूद क्रू सदस्य भी यही कह रहे थे कि उन्हें कोई भी समस्या नहीं है.


कैरल ए. डीयरिंग: 1921 में बाराबडोस से कैरल ए. डियरिंग नामक खोये हुए जहाज की सूचना लेने के लिए एक खोजी दल भेजा गया. जब यह दल जहाज के समीप पहुंचा तो उन्होंने एक खराब हालत में जहाज को देखा जिसमें सभी क्रू सदस्य और बरमूडा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब थे.


barmuda triangle mysteryकुछ लोग बरमूडा के इस ट्राएंगल को दूसरे ग्रह से आए लोगों का शोध केन्द्र मानते हैं. उनका कहना है कि समुद्र के नीचे एलियन विभिन्न शोधों को अंजाम देते हैं और वह नहीं चाहते कि मनुष्य उनके कार्य में बाधा उत्पन्न करें, इसीलिए वह यह सब करते हैं. बरमूडा के इस छुपे रहस्य को जांचने के लिए कई वैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित सिद्धांतों पर विचार किया जा रहा है:


मीथेन गैस: बरमूडा त्रिकोण से संबंधित सबसे प्रमुख सिद्धांत है समुद्र में व्याप्त मीथेन गैस. वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र के नीचे मीथेन गैस का भंडार है जो फूट सकता है. परिणामस्वरूप पानी का घनत्व कम हो जाता है और जहाज धीरे-धीरे नीचे की ओर गिरने लगता है. यहां तक कि यह आसमान में उड़ने वाले जहाज को भी अपनी चपेट में लेकर ध्वस्त कर देती है.


सरगासो सी: वैज्ञानिकों का कहना है कि बरमूडा टाएंगल के भीतर एक ऐसा समुद्र है जिसका कोई तट नहीं है और वह अंदरूनी झटकों से बंधा हुआ है. जब कोई जहाज वहां से गुजरता है तो वह वहां फंसकर गतिहीन हो जाता है.


इलेक्ट्रॉनिक फॉग: कई वैज्ञानिक इस बात से सहमति रखते हैं कि बरमूडा ट्राएंगल के बीच एक कठोर और अजीब बादल या कोहरा छा जाता है जो समुद्री या हवाई जहाजों को निगल जाता है.


इन सब सिद्धांतों और कथाओं के अलावा बरमूडा ट्राएंगल को एक पौराणिक कथा के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है कि जब हनुमान जी समुद्र पारकर लंका जाने लगे थे तो उन्हें एक ऐसी राक्षसी का सामना करना पड़ा था जो किसी भी जीव की परछाई को बंदी बना सकती थी. हो सकता है यहां भी ऐसी कोई शक्ति हो या फिर सच में यह दूसरे ग्रह के प्राणियों का शोध केन्द्र हो. लेकिन अभी इस ट्राएंगल की हकीकत को समझने में बहुत लंबा समय लग सकता है.

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