सुंदर होना कौन नहीं चाहता. लेकिन सुंदर होने के लिए कोई मरना नहीं चाहता. हालांकि दुनिया के हर कोने में औरतों का सौंद्रय प्रेम एक सा है. अपनी सुंदरता निखारने के लिए औरतें क्या कुछ नहीं करती. इसके लिए वे कोई भी दर्द झेलने के लिए तैयार रहती हैं. पर यह भी एक बड़ा सत्य है कि जान से ज्यादा परवाह दुनिया में किसी चीज की नहीं होती. भले वह औरतें हीक्यों न हों, जान की कीमत पर या अपनी अपंगता की कीमत पर वे भी अपनी सुंदरता बढ़ाना पसंद नहीं करेंगी. हां कभी-कभी कुछ वाकए अपवाद भी होते हैं.
चीन में फुटबाइंडिंग नाम की प्रथा थी. इसमें बचपन में ही महिलाओं के पैर को इस तरह बांध दिया जाता था कि वह ज्यादा ना बढ़ सके. पौराणिक चीनी मान्यताओं में महिलाओं के छोटे पैरों को ही सुंदरता की पहचान समझा जाता था. इसीलिए महिलाओं की सुंदरता बनाए रखने के लिए उनकी फुटबाइंडिंग की जाती थी.
फुटबाइंडिंग की यह प्रथा 10वीं से 20वीं शताब्दी तक प्रचलन में रही. इसमें 6 वर्ष या उससे भी छोटी आयु की लड़कियों की फुटबाइंडिंग की जाती थी. फुटबाइंडिंग के कारण महिलाओं के पैर 4-5 इंच से ज्यादा नहीं बढ़ पाते थे. लंबे समय तक प्रचलित इस प्रथा के कारण कई महिलाएं अपंगता की शिकार हो गईं क्योंकि उनके पैरों का सही विकास नहीं हो पाया था.
इतना ही नहीं इसका तरीका भी बहुत अजीब और अमानवीय था. फुटबाइंडिंग की शुरूआत में सबसे पहले दोनों पैरों को जानवरों के खून और कई जड़ी बूटियों के गर्म मिश्रण में भिगोया जाता था. इसके बाद बच्चियों के पैर के नाखूनों को जितना संभव हो काटा जाता था. मिश्रण में भीगे पैरों की कुछ देर तक मालिश की जाती थी उसके बाद पैर की सभी अंगुलियों को अमानवीय तरीके से तोड़ दिया जाता था. अंगुलियां तोड़ने के बाद उस मिश्रण में भिगोई एक इंच चौड़ी और दस फीट लंबी रस्सी से उनके पैरों को बांध दिया जाता था. बांधने के दौरान यह बात ध्यान रखी जाती थी कि टूटी अंगुलियों की दिशा एड़ी की तरफ हो ताकि पैर का विकास ना हो पाए.
ऐसा ही कुछ अफ्रीका में महिलाओं की खूबसूरती के लिए किया जाता था और आज भी पिछड़े आदिवासी इलाकों में यह प्रथा प्रचलित है. वहां लड़्कियों के मोटे और चौड़े होंठ खूबसऊरती का प्रतीक माने जाते हैं. अधिकांश अफ्रीकी औरतें जो आपने देखी होंगी उनके मोटे होंठ खास तौर पर उनके चेहरे को लक्षित कर देते हैं. आपको उनके मोटे होंठ भले ही अजीब लगें लेकिन इसके उन्हें दर्द की इम्तहां पार करनी पड़ती है.
दरअसल वहां एक प्रथा है कि किशोरी लड़कियों को एक निश्चित उम्र में होठों के कोनों को काटकर उसे ऊपर की तरफ मोड़कर लड़की छोटे गट्टों से बांध दिया जाता है. इसी तरह किशोरियों को बंद अंधेरी कोठरी में कई दिनों तक रखा जाता है जब तक कि घाव भर न जाए. इस तरह उन किशोरियों के होठ लंबा खुलते हैं और मोटे हो जाते हैं. कई लड़कियां इन प्रकिय में बेहोश भी हो जाती हैं. किशोरियां इस अमानवीय प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहतीं लेकिन प्रथा और खूबसूरती के नाम पर उन्हें जबरदस्ती इसके लिए मजबूर किया जाता है. इसके लिए उनके हाथ-पैर पूरी तरह बांध दिए जाते हैं ताकि वे इसका विरोध न कर सकें.
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