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करोड़पति जो भीख मांगे बिना जी नहीं सकता, जानिए जिंदगी का सच

विधाता जो न कराए. कोई अमीरी की चकाचौंध में जीवन भर चमकता है तो किसी को पेट भरने के लिए दो वक्त का खाना जुटा पाना भी मुश्किल होता है. लोग अमीर होने के लिए क्या-क्या नहीं करते. अमीरी की ठाठ ही कुछ ऐसी होती है. महंगी गाड़ियां, बड़े बंगले, घूमना-फिरना, मौजमस्ती..शायद अमीर बनकर यह सब पाना चाहते होंगे आप. पर क्या अमीर बनने के बाद भी आप भीख मांगना पसंद करेंगे? शायद नहीं. लेकिन करोड़पति होकर भी भीख मांगना अगर आपकी मजबूरी बन जाए तो…?

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राह चलते भिखारी को बस कुछ पैसों के लिए गिड़गिड़ाते देखकर थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन आपका दिल जरूर पसीजता होगा. फटे-पुराने कपड़ों में भिखारियों को फुटपाथ पर ठंड के मौसम में ठिठुरते देखना बहुत ही मार्मिक होता है. हम कई बार यह सोचकर अपने मन को संतोष देते हैं कि बेचारे अनपढ़, बेरोजगार गरीब करें तो क्या करें…भीख मांगना उनकी मजबूरी है. कम से कम इसी तरह उनका पेट तो भर रहा है.


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भीख मांगकर अपना घर चलाना किसी के लिए शर्मिंदगी भरा अहसास हो सकता है. कोई मजबूरी और विवशता में ही भीख मांगता है, लेकिन क्या कभी आपने करोड़पति आदमी को भीख मांगते देखा या सुना है? हो सकता है कुछ लोगों को यह बात अविश्वसनीय लगे लेकिन गुजरात में एक करोड़पति भीख मांगता है और वह भी सिर्फ अपना टाइम-पास करने के लिए. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के पास करोड़ों के बंगले में रहने वाले मुकुंद गांधी हर रोज जमालपुर मार्केट के नजदीक तीन घंटे भीख मांगता है.

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मुकुंद घर पर अकेले बोर हो जाता है इसीलिए वह अपना समय भीख मांगकर बिताता है. भीख मांगना उसे अपना समय बिताने का सबसे अच्छा तरीका लगता है. मुकुंद का बेटा लंदन में पढ़ाई कर रहा है और बेटी मुंबई में एक कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत है. 63 वर्षीय मुकुंद के घर में बहुत सारे नौकर-चाकर हैं जो उसकी हर जरूरत का ख्याल रखते हैं, समय पर दवाई और खाना देते हैं. लेकिन परिवार के सदस्यों के घर पर न होने के कारण उसे वहां मन नहीं अगता और वह भीख मांगने निकल जाता है.

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कुछ वर्ष पहले मुकुंद की पत्नी की मृत्यु हो चुकी है. मुकुंद के लिए यह एक प्रकार से सदमा साबित हुआ. पड़ोसियों के मुताबिक पत्‍‌नी की मौत के बाद उन्होंने आत्महत्या का प्रयास भी किया था, लेकिन उन्हें बचा लिया गया. मनोचिकित्सकों के अनुसार मुकुंद सीजोफ्रेनिया का रोगी है. इस बीमारी में इंसान अकेले रहने से घबराता है. मुकुंद के करीबियों का कहना है कि पत्‍‌नी की मौत और बच्चों की दूरी उन्हें अकेलेपन का अहसास करवाती है इसीलिए वह सड़कों पर भीख मांगकर खुद को व्यस्त रखने का प्रयास करते हैं.

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