वह जानवर है या इंसान, उसे देखकर एक पल को शायद आप संशय में पड़ जाएं. सिगरेट का कश लेते हुए जब वह आपकी तरफ आता है, आप दुविधा में पड़ जाते हैं. क्या करें, क्या कहें, क्या सोचें, सबकुछ खाली हो जाता है, और अनायास ही आपके मुंह से निकलता है, “ये कौन सा प्राणी है! जानवर है या कोई इंसान ही जानवर में बदल गया है!” डर गए या सोच में पड़ गए कि ऐसा प्राणी आया कहां से? इतना मत सोचिए! यह कोई एलियन नहीं, धरती का ही कोई प्राणी है. यह और बात है कि दुनिया के किसी भी कोने में आपने इसे पहले कभी इस तरह देखा नहीं होगा.
क्या सोच रहे हैं? कि ऐसा कौन सा अजूबा प्राणी आ गया है जिसे अब तक आपने नहीं देखा? कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कि डायनासोर ने दुबारा जन्म लिया है? अगर ऐसा है, चिंता न करें क्योंकि यह डायनासोर नहीं है. हां, इतना जरूर है कि डायनासोर के आग की तरह यह भी मुंह से धुंआ निकालाता है. अंदाजा लगाने की कोशिश तो अच्छी थी पर अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि यह डायनासोर की तरह कोई विशालकाय जीव नहीं, बल्कि एक छोटा सा कछुआ है. जी हां, कछुआ, जो मुंह से धुंआ निकालता है. पर कछुआ मुंह से धुंआ क्यों और कैसे निकालता है?
आप सोच रहे होंगे कि यह कोई खास तरह का कछुआ होगा, पर एक बार फिर गलत अंदाजा. यह एक आम कछुआ है. हां, इसकी कहानी जरूर खास है. यह कछुआ इंसानों की तरह सिगरेट के कश लेता और धुआं छोड़ता है. चौंकिए मत कि कछुआ सिगरेट कैसे पी सकता है! यह कोई भ्रामक कहानी नहीं है. यह कछुआ इंसानों की तरह दिनभर में कई बार सिगरेट पीने का आदी है. पूरे दिन में कम से कम 10 सिगरेट पी जाना इसके लिए आम है. क्योंकि इंसानों की तरह सिगरेट खरीदने यह दुकान नहीं जा सकता, इसलिए अपने सिगरेट की तलब होने पर हिस्स की आवाज के साथ शोर मचाता है. इतना ही नहीं, सिगरेट न मिलने पर यह थक कर बैठता भी नहीं, बल्कि अपने मालिक के पीछे-पीछे घूमता रहता है जब तक वह इसे सिगरेट दे नहीं देता. इस कछुए को सिगरेट की लत लगने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है.
चीन के एक गांव चैंगचुन में तांग नाम के एक व्यक्ति के पास यह कछुआ है. दरअसल कुछ दिनों पहले इसके गले में चिकन का एक टुकड़ा अटक गया था. तांग को बहुत दिनों तक इसका पता नहीं चला. कुछ दिनों तक गले में कुछ अटके रहने के कारण कछुए को दर्द होने लगा. जब इसने खाना-पीना छोड़ दिया फिर तांग ने इसके पसंदीदा खाने में अरुचिकी वजह जानने की कोशिश की. तब उन्हें इसके गले में चिकेन का टुकड़ा फंसा होने की बात समझ आई. तांग ने उसके मुंह में उंगली डालकर इसे निकालने की कोशिश की तो दर्द के कारण कछुआ उनकी उंगली काटने लगा. तांग उस वक्त सिगरेट पी रहे थे. कछुए का ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने उसके मुंह में सिगरेट का जला हुआ टुकड़ा फंसा दिया. कछुए का ध्यान भी भटका और तांग उसके गले में फंसे उस टुकड़े को निकालने में भी कामयाब रहे. लेकिन भूलवश वे कछुए के मुंह से सिगरेट निकालना भूल गए. उस दिन तो बात आई-गई हो गई, लेकिन दूसरे दिन से कछुए में बदलाव आ गया. तांग को सिगरेट पीते देखकर कछुआ आवाज करने लगा, तो तांग को कुछ समझ नहीं आया. कुछ सोचकर जब तांग ने उसके मुंह में सिगरेट डाला तो वह चुप हो गया. इस तरह यह कछुए की रोज की आदत बन गई. अब जब भी उसे सिगरेट की जरूरत होती वह हिस्स की आवाज करता या तांग के पीछे-पीछे घूमता रहता. इस तरह आज यह दिन में कम-से-कम 10 सिगरेट पी जाता है. तांग बेचारा इसकी इस आदत से परेशान है, पर करें तो क्या करें, नशे की लत है ही ऐसी चीज, एक बार लगी तो छूटना मुश्किल हो जाता है. अब जानवरों के लिए कोई नशा मुक्ति केंद्र तो है नहीं कि इसे वहां ले जाया जाए.
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