उसे आज हर इंसान के अंदर उसी हैवान राजा का चेहरा नजर आता है और अपनी मौत का बदला लेने के लिए वह आती है हर साल तीन दिन के लिए और लील ले जाती है उस गांव की खुशियां.
महाराष्ट्र का एक छोटा सा गांव है मालवन. शायद इस गांव का नाम भी किसी ने ना सुना हो लेकिन हम जो सच आपको बताने जा रहे हैं वह बेहद खौफनाक और किसी की भी रूह को हिलाकर रख देने वाला है.
कहते हैं इस गांव में हर साल तीन निश्चित दिनों के अंदर आत्माएं अपना बसेरा जमाती हैं और वह तीन दिन गांव भर के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं बीतते.
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मालवन का रास्ता डरावना और टूटा-फूटा है. पर्यटकों के लिए यह स्थान कभी भी दिलचस्प नहीं रहा इसीलिए यहां आने वाले लोग गांव के ही होते हैं या फिर उन्हीं के रिश्तेदार ही इस स्थान पर आते हैं. वह सभी इस बात को जानते हैं कि यहां हर साल दुष्ट आत्माएं आती हैं लेकिन उन भटके हुए मुसाफिरों का क्या जो गलती से उन्हीं तीन दिनों के भीतर यहां पहुंच गए हैं? उनके लिए तो जैसे खुद ही मौत को निमंत्रण देना है.
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गांव वाले अपने घरों में ताला लगाकर इस स्थान से कहीं दूर चले जाते हैं. उन तीन दिनों में यहां सिर्फ और सिर्फ मौत का ही तांडव होता है. वहां अगर किसी के होने का एहसास होता है तो वह बस दुष्ट आत्माओं का. इसके अलावा इन तीन दिनों में अघोरी साधु भी अपनी ताकत बढ़ाने और इन भटकती दुष्ट रूहों को अपने कब्जे में करने के लिए वहां पहुंचते हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य किसी की भलाई नहीं बल्कि किसी भटकते मुसाफिर के शरीर में उन रूहों को सालभर के लिए कैद कर उससे अपनी हर इच्छा की पूर्ति करवाना होता
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स्थानीय लोगों का मानना है कि आज से लगभग कई सौ साल पहले एक दुष्ट राजा यहां राज करता था. गांव के सरपंच की बेटी जो बहुत खूबसूरत और चुलबुली थी उस पर उस राजा की नीयत फिसल गई और वह किसी भी हाल में उसे अपना बनाने के लिए ललचाने लगा.
राजा ने उस युवती को लाने के लिए अपनी सेना भेजी लेकिन जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो वे सैनिकों के विरोध में आ गए और उन्होंने आखिरी सांस तक उस युवती को बचाने का निश्चय किया. गांव वाले पहले ही उस दरिंदे राजा के जुल्मों से त्रस्त आ चुके थे और अब उनके लिए कुछ भी सहना संभव नहीं था. इसीलिए गांव वालों और राजा के सैनिकों में युद्ध हुआ और जाहिर था राजा के सैनिकों के आगे गांव वाले कब तक ठहर पाते. कुछ ही समय में गांव के सभी लोग मौत की नींद सो गए और जो बचे उन्हें तड़पा-तड़पा कर मौत के घाट उतार दिया गया.
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तब से लेकर अब तक गांव में हर साल उन्हीं तीन दिनों, जिनमें युद्ध चला था, में आत्माएं इस पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लेती हैं और अगर उनके सामने कोई भी मानव आ जाता है तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. उन शैतान रूहों को सभी इंसानों के अंदर राजा की सेना नजर आती है और वह उनको देखकर बौखला जाती हैं.
वह तीन दिन मौत को दावत देने जैसा है. अगर वहां गए तो समझ लीजिए कि वापस कभी नहीं आ पाएंगे. हालांकि पैरानॉर्मल विशेषज्ञों का कहना है कि आपके अर्जित पुण्य ऐसे हालातों में आपकी रक्षा करते हैं लेकिन सोचिए अगर वो भी ना हों तो………….
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