दूसरे ग्रह से धरती पर आने वाले प्राणी हमेशा से ही हमारे लिए उत्सुकता का केन्द्र रहे हैं. कभी कोई कहता है कि एलियन धरती पर आते-जाते रहते हैं तो कोई इन्हें देखने की भी बात करता है. कुछ वैज्ञानिक जहां जल्द ही एलियन से होने वाले सामने की बात कबूलते हैं वहीं कुछ कहते हैं अभी ऐसा मुमकिन नहीं है. अभी पिछले दिनों तो हिमालयी प्रदेश में घूमने गए एक लड़के ने तो यूएफओ और उसमें से उतरते एलियन की तस्वीरें खींचने जैसी बात भी कही थी और अब खबर है कि मैक्सिको के एक कब्रिस्तान में एलियन की खोपड़ी पाई गई है.
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लगभग 1000 साल पुराने इस कब्रिस्तान में शोधकर्ताओं ने एलियन जैसी प्रतीत होने वाली बड़े-बड़े आकार की मानव खोपड़ियां खोज निकाली हैं. इस कब्रिस्तान की खोज तब हुई जब वर्ष 1999 में ओनवास स्थित स्मॉल मैक्सिकन विलेज के स्थानीय लोग सिंचाई के लिए एक नहर खोद रहे थे और इसी खुदाई के दौरान उन्हें यह खोपड़ियां हाथ लगीं.
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हालांकि इन खोपड़ियों का गहन अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों को यह संदेह होने लगा है कि संभवत: यह खोपड़ियां एलियन की नहीं बल्कि इंसानों की ही हों. शोधकर्ताओं का कहना है कि मध्य अमेरिका में इस तरह की कोई परंपरा विद्यमान रही होगी जिसके अनुसार खोपडियों को विकृत रूप देकर दफनाया जाता हो. आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि इन खोपड़ियों का आकार बिलकुल एलियन की खोपड़ियों के जैसा है.
शोधकर्ताओं ने इस जगह को ईआइ सीमेंटेरियो का नाम दिया है, जहां 25 मानव अवशेष मिले हैं. 25 में से काफी खोपड़ियों का आकार बहुत ही विकृत है. वह पीछे से ऊपर की तरफ उठी हुई हैं, किसी नोक की तरह. पांच खोपड़ियों के दांत बहुत ही भयानक हैं.
एरिजोन स्टेट यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद और प्रमुख शोधकर्ता मोरेना का मानना है कि बच्चों की खोपड़ियों का विकास ठीक तरीके से नहीं हुआ होगा और उनकी खोपड़ियों को आकार दे देने की परंपरा रही होगी या फिर अपने समूह को अलग दिखाने के लिए ऐसा किया जाता रहा होगा.
काले जादू के साये में बीती वो खौफनाक रात
वहीं डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दूसरी दुनिया से धरती पर आने वाले इन्हीं बाशिंदों से अगले 12 साल के भीतर संपर्क साधा जा सकता है. एलियन के विमान यानि उड़नतश्तरी के शीर्ष विशेषज्ञ निक पोप का कहना है कि संसार के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप की मदद से मनुष्य अगले 12 सालों में एलियंस और अपने बीच की दूरी कम कर सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार स्क्वायर किलोमीटर ऐरै नाम के इस रेडियो टेलीस्कोप को करीब 115 अरब रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है जिसकी सहायता से पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह पर जीवन की मौजूदगी के संबंध में सवाल का जवाब 2024 तक दिया जा सकेगा.
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