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आज भी उस घर में कोई रोता है…..!!

femaleसुना तो था कि अगर कोई व्यक्ति बिना उस इच्छ को पूर्ण किए बिना ही मर जाता है जो उसके दिल के बहुत करीब होती है, तो वह भले ही अपना शरीर त्याग दे लेकिन उसकी आत्मा उस इच्छा को पूरा करने का बस एक अवसर तलाश करती रहती है. भले ही वह इच्छा किसी वस्तु को पाने की हो या फिर किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे वह इस जन्म में या तो कभी मिल नहीं पाया या फिर उसे अपना नहीं बना पाया.





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ऐसी ही एक सच्ची कहानी आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं. यह कहानी गुजरात की रहने वाली एक ऐसी लड़की की है जिसने प्यार तो बहुत किया लेकिन जिससे किया उसे कभी भी अपने प्यार का अहसास नहीं दिलवा पाई. शायद वह इस बात को अच्छी तरह समझती थी कि वह कभी अपने प्यार को हासिल नहीं कर पाएगी.



गुजरात के एक छोटे कस्बे में निर्जला की दास्तां बहुत प्रचलित है. आज की पीढ़ी जहां प्यार का मतलब सिर्फ हासिल करने से ही लेती है, वहीं निर्जला ने एक ऐसे प्यार के मिसाल पेश की जिसे वह इस जन्म में तो क्या कभी किसी जन्म में हासिल नहीं कर पाएगी.


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निर्जला बहुत छोटी थी जब उसके पड़ोस में सुनील अपने परिवार के साथ रहने आया था. सुनील के पिता एक धनी व्यापारी थे इसीलिए वह गांव के अन्य लोगों के साथ ज्यादा मेलजोल नहीं रखते थे. लेकिन फिर भी सुनील और निर्जला में दोस्ती हो गई. निर्जला की उम्र रही होगी कुछ 10 वर्ष और सुनील भी इसी के आसपास होगा. दोनों में दोस्ती हुई और साथ खेलना और बाते करना भी शुरू हो गया. देखते-देखते दोनों की उम्र बढ़ती गई और इसी बीच निर्जला के परिवार वाले उसके विवाह की योजना बनाने लगे. जब निर्जला को पता चला कि उसके परिवार वाले उसके लिए लड़का तलाश रहे हैं तो उसे सुनील के प्रति अपने प्रेम का अहसास हुआ.


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निर्जला ने यह बात अपने दोस्त सुनील को बता दी, उसे लगा शायद सुनील भी उसे पसंद करता है और जब उसे विवाह की सूचना मिलेगी तो वह अपने प्यार का इजहार कर देगा. लेकिन हुआ इससे बिल्कुल उलटा. जब सुनील को पता चला कि निर्जला का विवाह होने वाला है तो वह खुश होने लगा. उसे तो जैसे यह एक खुशखबरी लगी. वह हंसने लगा. बातों-बातों में निर्जला ने उसे कहा कि अगर मैं बोलू, मुझे तुझसे शादी करनी है तो? यह सुनते ही सुनील बोल पड़ा, ऐसा सोचियो भी मत, तेरा तो पता नहीं लेकिन मेरे परिवार वाले कभी इस बात के लिए तैयार नहीं होंगे, वैसे भी तू बस दोस्त है. शादी करने के लिए परिवारों में समानता होना बहुत जरूरी है. तुम्हारे और मेरे परिवार में बहुत अंतर है.



सुनील के मुंह से यह शब्द सुनते ही निर्जला तो जैसे स्तब्ध रह गई. उसे यकीन ही नहीं हुआ कि जिस सुनील से वह इतना प्यार करती है वह उसे ऐसे शब्द बोल रहा है.


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इस दिन के बाद निर्जला उससे कभी नहीं मिली. कुछ दिनों बाद सुनील भी अपने परिवार के साथ किसी अन्य जगह चला गया. निर्जला खुद को किसी से भी विवाह करने के लिए तैयार नहीं कर पा रही थी. उसने अपने माता-पिता को कह दिया वह किसी से विवाह नहीं करेगी. दिल में सुनील के आने की झूठी उम्मीद लिए वह अपना समय गुजारती रही. उसे लगता था कि एक ना एक दिन सुनील उसे लेने वापिस जरूर आएगा. लेकिन समय बीतता गया पर सुनील क्या उसकी कोई खबर तक नहीं आई. निर्जला की विवाह ना करने जैसी जिद्द के आगे उसके माता-पिता भे घुटने टेक चुके थे. वह बंजारों की तरह इधर-उधर, हर उस जगह घूमती, घंटों बिताती जहां पहले सुनील और वह बैठा करते थे. निर्जला के माता-पिता का देहांत हो गया, इसके बाद तो जैसे उसकी दुनियां समाप्त हो गई. उसके पास सुनील की यादों के अलावा कुछ नहीं बचा था. जो इस दुनियां में आया है उसे एक दिन तो वापिस जाना ही है. बस निर्जला का भी वो दिन आ गया. उसने उसी जगह प्राण त्यागे जिस जगह सुनील उसे छोड़कर गया था.



लेकिन उसने सिर्फ शरीर छोड़ा था क्योंकि गांव वालों ने कई बार उसके साये को वहीं बैठे देखा है. इंतजार करते देखा है. रातभर इधर-उधर भटकते और रोते हुए देखा है. उसके घर में से सिसकियों की आवाजें आज भी सुनाई देती हैं.


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