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जरूरी नहीं जो दिखाई ना दे वो है ही नहीं

पढ़ें एक सच्ची कहानी

हम सभी दोस्त कभी भूत और पिशाचों जैसी किसी भी बात पर विश्वास नहीं करते थे. विश्वास तो दूर की बात है मैं और मेरा ग्रुप इन बातों का मजाक तक उड़ाया करते थे. कॉलेज के होस्टल में दोस्तों के साथ मस्ती करना और नाइट आउट्स पर जाना शायद सभी को पसंद होता है, वैसे यह उम्र भी कुछ ऐसी ही होती है. लेकिन किसे पता था यही बिंदास रवैया हमें अपने जीवन के सबसे खौफनाक मंजर से मिलवाएगा.


hauntedएक रात की बात है मैंने और मेरे कुछ दोस्तों ने मिलकर दो दिन के लिए किसी हिल स्टेशन पर जाने का मन बनाया. फाइनल ईयर के इक्जाम समाप्त होने के बाद हम सभी अपने-अपने घर जाने के लिए तैयार थे लेकिन इसी बीच हमने सोचा क्यों ना कुछ दिन सिर्फ दोस्तों के साथ बिताए जाएं, क्योंकि बाद में कौन मिलता है कौन नहीं किसी को पता नहीं है.


हम सभी ने मेरी एक दोस्त के गांव जाने का निश्चय किया. उसका गांव मनाली से लद्दाख जाने वाले रास्ते के बीच में था. हम लोग एक दिन भी बेवजह गंवाना नहीं चाहते थे इसीलिए रात को ही उसके गांव की ओर निकल पड़े. हमने एक मिनी बस बुक करवाई और ड्राइवर को जल्दी से जल्दी हमारी मंजिल तक पहुंचाने के लिए कहा.


रात के करीबन आठ बजे हम सब अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े. बहुत देर तक हम सब गाते-बजाते और पुराने दिनों को याद करते थे. आधी रात तक तो यह सब चलता रहा लेकिन फिर सबको नींद आ गई. मेरे सभी दोस्त और मैं अपनी-अपनी सीट पर सो चुके थे कि अचानक अजीब सी एक आवाज से मेरी नींद टूट गई.


मेरी आंखें जैसे ही खुलीं मैंने देखा हमारा ड्राइवर ड्राइविंग सीट पर नहीं बल्कि उसके बगल वाली सीट पर बैठा था. मेरी नजर अचानक ही ड्राइविंग सीट पर गई और मैं यह देखकर हैरान हो गई कि ड्राइविंग सीट खाली थी लेकिन गाड़ी चल रही थी वो भी बिना किसी परेशानी के.


पहले तो लगा मैं जोर से चिल्लाऊं लेकिन फिर मुझे वो अजीब सी आवाज दोबारा सुनाई दी. इस बार वो मेरे पीछे से आ रही थी. मैं बस में सबसे आखिर में बैठी थी इसीलिए पीछे क्या है यह देखने की मेरी हिम्मत बिल्कुल नहीं हुई और ना ही मैंने इस बारे में ड्राइवर से ही कुछ पूछा. मुझे लगा शायद मैं नींद में हूं और यह सब मेरा वहम है…..


सुबह निकलते ही वह हमारे ड्राइवर ने हमें मेरी फ्रेंड के घर पहुंचा दिया. जब हम उसके घर पहुंचे तो उसकी मां ने पहले से ही हमारे लिए नाश्ते का इंतजाम कर रखा था. ड्राइवर भी पूरी रात हमारे साथ था इसीलिए आंटी ने उसे भी चाय के लिए बुला लिया. हम सात लोग थे लेकिन जब चाय और नाश्ता लाने की बात आई तो आंटी आठ लोगों के हिसाब से खाना लाईं.


आठ कप चाय देखकर हमने आंटी को बोला कि आंटी हम सिर्फ सात हैं. लेकिन आंटी कहतीं मुझे बूढ़ा समझकर तुम मेरा मजाक बना रहे हो ना! मुझे दिख रहा है तुम लोग आठ हो.


हमने कहा नहीं आंटी हम छ: फ्रेंड्स और एक ड्राइवर भैया हैं. लेकिन आंटी नहीं मानीं और कहने लगीं जब तुम लोग गाड़ी से उतरे तो आठ थे. तुम्हारा एक दोस्त मुझे रसोई में कहकर गया है कि उसे बहुत भूख लगी है जल्दी-जल्दी नाश्ता लाऊं.


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हम सब एक दूसरे से पूछने लगे कि किचन में कौन गया था. लेकिन मेरा कोई भी मेल फ्रेंड आंटी के पास नहीं गया था.


इतने में ड्राइवर भैया आ गए जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो हंसने लगे और कहा कि बहनजी यह बच्चे बहुत मजाकिया हैं. रात को इनके एक दोस्त ने काफी समय तक गाड़ी चलाई. यह तो सब सो गए थे लेकिन उसने कहा कि उसे नींद नहीं आ रही इसीलिए वह मेरे पास आकर बैठ गया. फिर उसने मुझे ड्राइव करने के लिए पूछा तो मैंने पहले तो मना किया लेकिन बाद में उसकी जिद के कारण उसे बस चलाने के लिए दे दी. लेकिन अब वो तुम्हारे साथ नजर नहीं आ रहा है.


आंटी भी यही कहने लगीं कि वह नजर नहीं आ रहा है, मेरे सभी दोस्त सोचने लगे कि शायद ड्राइवर ने रात को नशा किया होगा इसीलिए ऐसा बोल रहे हैं और आंटी तो वैसे भी काफी बूढ़ी हैं. लेकिन मुझे पता था कि ड्राइवर भैया सही बोल रहे हैं. रात को कोई तो था हमारे अलावा उस गाड़ी में….


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