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कहानी नहीं खौफनाक हकीकत है ये !!

सत्ता के सामने मुंह खोलना हमेशा से ही नापसंद किया गया है लेकिन अगर कोई हिम्मत कर ऐसा दुस्साहस कर ले तो उसे अधिकतम क्या सजा दी जा सकती है – सजा-ए-मौत या फिर उम्रकैद. लेकिन चीन के शासक शायद आसानी से मौत बांटने में भी विश्वास नहीं करते थे इसीलिए जब उन्हें अपने एक दरबारी को सजा देने का मन हुआ तो उन्होंने उसे एक ऐसी सजा सुनाई जिसे सुनकर आप अंदर तक सिहर उठेंगे.

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hauntedआज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व चीन के एक इतिहासकार और राजदरबारी ने एक सच का साथ देने की एक खतरनाक कीमत चुकाई थी. ऐसी कीमत जिसने उसे ना तो कभी चैन और सम्मान से जीने दिया और ना ही वह अपने जीवन को समाप्त कर पाया.

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सदियों पहले की बात है कहते हैं चीन में सीमा छुइआन नाम के एक महान इतिहासकार रहते थे. चीन की उत्तरी सीमा पर तत्कालीन शाही सेना को विरोधियों के सामने जब घुटने टेकने पड़े तो हार से बौखलाए राजा ने सेनापति को ही इस हार का दोषी ठराया. राजा बहुत क्रोधित था और उसका यह सारा क्रोध सीमा पर टूट पड़ा क्योंकि जब सभी सेनापति का विरोध कर रहे थे तो एकमात्र सीमा छुइआन ने ही सेनापति का बचाव किया था और इस बचाव की सजा उन्हें मिली नपुंसकता.

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इस सजा को पढ़कर आपको जरूर यह लगा होगा कि कोई इतना अमनावीय कृत्य कैसे कर सकता है. लेकिन सच यही है कि सजा के तौर पर सीमा छुइआन का गुप्तांग काट दिया गया और उन्हें दे दी गई एक बेबस और असहाय जिंदगी.


सीमा छुइआन का दोष बस इतना था कि उन्होंने दरबारी शिष्टाचार को तोड़ते हुए सेनापति का बचाव किया था और वो भी मात्र इसीलिए क्योंकि वह सेनापति के साथ होते अत्याचार को वहन नहीं कर पा रहे थे. वह जानते थे कि इससे पहले सेनापति के नेतृत्व में कई लड़ाइयां जीती जा चुकी हैं.


अपने मित्र को लिखे एक पत्र में सीमा ने यह लिखा भी था कि युद्ध हारने में सेनापति की कोई गलती नहीं थी. दरबारी भी इसीलिए राजा का साथ दे रहे हैं क्योंकि वे अपने और अपने परिवार को बचाना चाहते हैं.


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उस समय देशद्रोहियों को ही मौत की सजा दी जाती थी इसीलिए सीमा नहीं चाहते थे कि उन्हें मौत की सजा दी जाए. यही वजह थी कि उन्होंने अपने लिए नपुंसक जीवन चुन लिया.


सीमा छुइआन ने अपनी आत्मकथा तक में यह जिक्र नहीं किया कि उन्हें नपुंसक जीवन जीने के लिए विवश किया गया था. लेकिन वो नपुंसक बनाए जाने की शर्मिंदगी से कभी भी नहीं उभर पाए. अपने एक पत्र में उन्होंने लिखा भी था कि “मैं जब अपने आप को देखता हूं तो पाता हूं कि विकलांग शरीर के साथ मैं शर्मनाक जीवन जी रहा हूं.”

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