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कब्र में भी सुकून नहीं मिलता यदि……

सच ही लिखा है जिसने भी लिखा है कि कब्र में भी सुकून नहीं मिलता है यदि आपको एक बार दफन करने के बाद फिर निकाला जाए और फिर दफन किया जाए. अब एक ऐसी कहानी जिसे सुनने के बाद आपको यह लगेगा कि एक बार दफन करने के बाद फिर बाहर निकाल कर दफन करने की क्या जरूरत थी.


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graveएक ऐसा स्रमाट जिसके बारे में कहा जाता है कि उसकी मौत तो रहस्यपूर्ण नहीं थी पर उसका दफन होना रहस्यपूर्ण था. सम्राट या बादशाह बनना वैसे तो किस्मत वालों को नसीब होता है लेकिन भारतीय इतिहास में एक ऐसा भी बादशाह हुआ जिसे बेहद बदनसीब शासक कहा जाता है. उसके बारे में तो यहां तक मान्यता है कि वह ‘जिंदगी भर लुढ़कता रहा और एक दिन लुढ़कते हुए ही उसकी मौत हो गई’.


जिन्दगी भर हार का सिलसिला यही खत्म नहीं हुआ था जिन्दगी ने तो हराया ही साथ ही मौत के बाद उसे कब्र में भी सुकून नहीं मिला और यहां से भी उसे बाहर निकाला गया. मुग़ल शासक हुमायूं को अपने पिता से जो विरासत मिली वह जल्दी ही उसे गंवा बैठा और लम्बे समय तक इधर-उधर की ख़ाक छानता रहा. बेहद कड़े मुकाबले के बाद उसे दोबारा अपना साम्राज्य मिला. लेकिन एक दिन अचानक सीढ़ियों पर पैर फिसलने की वजह से उसकी मौत हो गई.


जिस इमारत में उसकी मौत हुई उसे परवर्ती शासक शेरशाह सूरी द्वारा 19 जनवरी, 1556 को बनवाया गया था. इस इमारत को हुमायूं ने ग्रंथालय में तब्दील कर दिया था. मौत के बाद हुमायूं को यहीं दफना दिया गया.


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प्यार करने की सजा: दफन होने के बाद भी निकाला

हैरानी की बात है कि प्यार इस हद को भी कभी-कभी पार कर देता है कि मरने के बाद भी दफन हुए व्यक्ति को कब्र से निकाला जाता है और फिर दफन कर दिया जाता है.  इतिहासकारों का कहना है कि हुमायूं की विधवा हमीदा बानू बेगम उसे बेहद प्यार करती थी. हमीदा की तमन्ना थी कि उसके पति को एक आलीशान मकबरा मुहैया हो इसलिए उसने दिल्ली में एक बेहद खूबसूरत मकबरे का निर्माण करवाया भी और फिर बाद में 1565 में हुमायूं को उसकी पुरानी कब्रगाह से निकाला गया और पुनः इस नई जगह पर दफ़न किया गया. आज इसी मकबरे को हुमायूं का मकबरा कहते हैं..


अपनी अनूठी पुरातात्विक खूबसूरती की वजह से विश्व विरासत स्थल में शामिल हो चुका यह स्थल भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857 की क्रांति) से भी जुड़ा हुआ है. अंग्रेजों ने अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर को यहीं से गिरफ्तार किया था.


आखिरकार अजीब क्यों है ?

हुमायूं के इस मकबरे की भव्यता से मशहूर मुग़ल शासक शाहजहां भी बेहद प्रभावित हुआ था. कहते हैं दुनिया के अजूबों में शामिल ताजमहल की प्रेरणा उसे इस महल को देखने के बाद ही मिली थी.


यह पूरा परिसर लगभग 30 एकड़ में फैला हुआ है. इसके बीचो-बीच हुमायूं का मकबरा है जो एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बना है. यह इमारत मुगलकालीन स्थापत्य का अद्भुत नमूना है. भारत में पहली बार बड़े पैमाने पर संगमरमर और बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल इसी इमारत में किया गया.


एक रहस्य जो आज तक अनसुलझा है……..

हुमायूं के मकबरे से जुड़ा एक रहस्य भी है जो आज तक अनसुलझा है. मकबरे केठीक पीछे अफ़सरवाला का मकबरा है. यह मकबरा किसका है और इसमें किसे दफ़न किया गया है यह अभी भी एक राज ही है.


मुग़ल बादशाह हुमायूं के इसी मकबरे के पास एक सराय यानि रुकने का स्थल है जिसे अरब सराय कहा जाता है. कहते हैं इसी सराय में इस खूबसूरत मकबरे का निर्माण करने वाले शिल्पकार रहते थे जिन्हें फारस से बुलाया गया था.

सच ही है कि सम्राटों के इतने राज होते हैं जो आज तक अनसुलझे ही हैं. बहुत से सम्राट ऐसे हैं जिनकी मौत भी एक राज ही है.


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Please post your comments on:यदि आप भी ऐसे ही किसी सम्राट के रहस्य के बारे में जानते हैं तो हमें जरूर बताइए.


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