याद कीजिए आपसे कभी ना कभी किसी ने जरूर कहा होगा कि काला जादू कुछ नहीं होता है पर अब ऐसी कहानी को सुनने के बाद आपको लगेगा कि काला जादू सच में होता है या फिर उसके पीछे तमाम राज होते हैं…..और साथ ही ऐसी जगह जहां आप रात में जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते हों…..
काले जादू की सच्ची कहानी जिस पर विश्वास करने से पहले बहुत बार सोचना होगा कि यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो उस पर काला जादू कराने से वो आपसे प्रेम करने लगता है और साथ ही ऐसी जगह जहां आप सिर्फ दिन में ही जा सकते हैं और रात में जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते. भानगढ़ किले के रातों रात खंडहर में तब्दील हो जाने के बारे में कई कहानियां मशहूर हैं और इन किस्सों को सुनकर लोग मायावी और रहस्यों से भरे इस किले की ओर खिंचे चले आते हैं.
आपको सूर्यास्त से पहले इस खंडहर में लोग घूमते-टहलते मिल जाएंगे लेकिन छः बजे के बाद यहां आने वालों का हाथ पकड़कर किले के बाहर कर दिया जाता है. किले की एक दीवार पर भारतीय पुरातत्व विभाग का बोर्ड लगा है जिस पर साफ साफ शब्दों में लिखा है सूर्यास्त के बाद प्रवेशवर्जित है.
राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का नेशनल पार्क के एक छोर पर खड़ा है खंडहरनुमा भानगढ़. इस किले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था. भगवंत दास के छोटे बेटे और मुगल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया.
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भानगढ़ किले की खास बात यह है कि भानगढ़ का किला चारो ओर से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं. सामने बाजार है. कहते हैं ये भानगढ़ का जौहरी बाजार था जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनी दो मंजिला दुकानों के खंडहर हैं. किले के आखिरी छोर पर दोहरे अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है. लेकिन तीनों मंजिल लगभग पूरी तरह ढेर हो चुकी हैं.
खंडहर बना भानगढ़ एक शानदार अतीत के बर्बादी की दुखद दास्तान है. किले के अंदर की इमारतों में से किसी की भी छत नहीं बची है. लेकिन हैरानी की बात है कि इसके मंदिर पूरी तरह महफूज है. इन मंदिरों की दीवारों और खंभों पर की गई नक्काशी इत्तला करती है कि यह समूचा किला कितना खूबसूरत और भव्य रहा होगा?
भानगढ़ के बारे में जो अफवाहें और किस्से हवा में उड़ते हैं उनके मुताबिक इस इलाके में सिंघिया नाम का एक तांत्रिक रहता था. उसका दिल भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती पर आ गया जिसकी सुंदरता समूचे राजपूताना में बेजोड़ थी.
एक दिन तांत्रिक ने राजकुमारी की एक दासी को बाजार में खुशबूदार तेल खरीदते देखा. सिंघिया ने तेल पर टोटका कर दिया ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही तांत्रिक की ओर खिंची चली आए. लेकिन शीशी रत्नावती के हाथ से फिसल गई और सारा तेल एक बड़ी चट्टान पर गिर गया.
टोटके की वजह से चट्टान को ही तांत्रिक से प्रेम हो गया और वह सिंघिया की ओर लुढ़कने लगा. चट्टान के नीचे कुचल कर मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि मंदिरों को छोड़ कर समूचा किला जमींदोज हो जाएगा और राजकुमारी समेत भानगढ़ के निवासी मारे जाएंगे. आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि सिंघिया के शाप की वजह से ही किले के अंदर की सभी इमारतें रातों रात ध्वस्त हो गईं.
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