कहते हैं मनुष्य की जिज्ञासा का कोई अंत नहीं है. इसे जितना दबाओ यह उतना ही अपने पंख फैलाने लगती है. यही वजह है कि पृथ्वी से बहुत दूर और अलग-थलग रहने वाला मंगल ग्रह हमेशा से ही पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए जिज्ञासा और रोमांच का केंद्र रहा है. एलियन से जुड़ी अफवाहें हों या मंगल पर जीवन होने जैसा मुद्दा, वैज्ञानिकों से लेकर आम जन तक लगभग सभी के लिए लाल रंग का यह ग्रह एक रोमांचक पहेली बन गया है जिसे सुलझाने के लिए पिछले काफी समय से कोशिशें की जा रही हैं. आम जनता के लिए भले ही यह दिलचस्प मसला हो लेकिन वैज्ञानिकों के लिए मंगल ग्रह और इससे जुड़े रहस्य अब चुनौती बन गए हैं, जिसका सामना उन्हें यदा-कदा करना ही होता है.
आखिर मंगल ग्रह की सच्चाई है क्या? क्या वाकई यहां जीवन मुमकिन है? जिस प्रकार पृथ्वी पर इंसान रहते हैं क्या उसी प्रकार मंगल ग्रह पर भी एलियन वास करते हैं, जो समय-समय पर धरती का चक्कर लगाते रहते हैं? ऐसे ही कई सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना मानव के लिए चुनौती बन गया है. यूं तो थोड़े अंतराल के बीच देशी और अंतरराष्ट्रीय स्पेस संस्थाओं द्वारा मंगल पर उपग्रह भेजे जाते रहे हैं लेकिन हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपना अत्याधिक हाइटेक मार्स रोवर क्यूरियोसिटी मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक पर उतारा है जिसके बाद यह उम्मीद लगाई जा सकती है कि अब शायद मंगल की हकीकत ज्यादा दिन तक छिपी नहीं रह सकती.
भूवैज्ञानिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से मंगल ग्रह को विभिन्न अवधियों में विभाजित किया जा सकता है. आज से 4.5 अरब वर्ष पूर्व से लेकर 3.5 अरब वर्ष पूर्व तक की एक अवधि है जिसे नोएचियन काल के नाम से जाना जाता है, इनमें सबसे अधिक प्रमुख है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस दौरान मंगल की सबसे पुरानी सतह का गठन हुआ था. दूसरा है हेस्पेरियन काल, जो 3.5 अरब वर्ष पूर्व से लेकर 2.9-3.3 अरब वर्ष पूर्व तक की अवधि है. इस काल में व्यापक तौर पर लावा मैदानों का गठन हुआ था. तीसरे स्थान पर है अमेजोनियन युग, जो 2.9-3.3 अरब वर्ष पूर्व से वर्तमान तक की अवधि को कहा जाता है. सौरमंडल का सबसे बड़ा पर्वत ओलंपस मोन्स इसी दौरान बना था.
किस्सों और अफवाहों के जरिये तो हम मंगल से संबंधित अनेक कहानियां सुन चुके हैं लेकिन मंगल ग्रह की वास्तविक विशेषताएं क्या हैं यह हम आपको बताते हैं:
1. मंगल के पास दो चंद्रमा – सौरमंडल में चौथे स्थान पर विराजमान मंगल ग्रह पृथ्वी से देखने पर लाल रंग का नजर आता है. इसीलिए इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है. मंगल के पास अपने दो चंद्रमा हैं जिनके नाम फोबोस और डिमोज हैं. मंगल को पृथ्वी से नंगी आंखों से देखा जा सकता है.
2. पृथ्वी और मंगल – मंगल ग्रह, पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है. यह ग्रह पृथ्वी से कम घना और पृथ्वी की तुलना में 15 फीसद आयतन और ग्राम फीसद द्रव्यमान है. इसका सतही क्षेत्रफल, पृथ्वी की शुष्क भूमि से बहुत ज्यादा कम भी नहीं है. लोहे की ऑक्साइड के कारण मंगल ग्रह का रंग लाल-नारंगी है, जिसे हैमेटाइट के रूप में जाना जाता है.
3. मंगल ग्रह पर पानी की उम्मीद – 1965 में मंगल ग्रह पर मेरिनर 4 यान भेजा गया था, जिससे पहले यह माना जाता था कि इस ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है. दूर से देखने में यहां पर विशालकाय नदियां और नाले दिखाई भी देते हैं. लेकिन अभी तक पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि मंगल पर पानी है या नहीं. विशेषज्ञों का मानना है कि सौरमंडल के अन्य ग्रहों में पृथ्वी के अलावा मंगल पर पानी मिलने की संभावना सबसे अधिक है. अभी कुछ समय पहले यहां गर्म पानी के छोटे-छोटे फव्वारे होने जैसे संकेत भी मिले हैं.
4. मंगल पर मौजूद सौरमंडल का सबसे बड़ा पर्वत – उल्लेखनीय है कि सौरमंडल में दो तरह के ग्रह होते हैं, एक जिनमें जमीन अधिक होती है और दूसरे जिनमें अधिकांशत: गैस ही मिलती है. पृथ्वी की भांति मंगल ग्रह भी स्थलीय धरातल वाला ग्रह है. हमारे सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत, ओलंपस मोंस मंगल ग्रह में ही स्थित है. अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का मौसमी चक्र भी पृथ्वी के ही समान है.
5. मंगल पर मौजूद लोहा-मैग्नेशियम – सिलिकॉन और ऑक्सीजन के अलावा मंगल की सतह पर लोहा, मैगनेशियम, एल्यूमिनियम, कैलशियम और पोटैशियम भी बहुतायत में पाए जाते हैं. सौरमंडल में अपनी स्थिति की वजह से मंगल की कई विशेष रासायनिक विशेषताएं भी हैं.
Read Comments