लियोनार्डो दा विंसी की अद्भुत कृति ‘मोनालिसा’ की रहस्यमयी मुस्कान के पीछे की हकीकत से अभी तक पर्दा नहीं उठाया जा सका है. इस पेंटिंग में उनके चेहरे पर जो मुस्कान है उसका कारण क्या है, इस बात को समझने के लिए विशेषज्ञ पिछले काफी समय से प्रयासरत हैं लेकिन अभी तक वह किसी संतोषजनक परिणाम तक नहीं पहुंच पाए हैं. खैर मोनालिसा की मुस्कान का रहस्य जब खुलेगा तब खुलेगा लेकिन मोनालिसा से संबंधित जो नई जानकारी आ रही है वह वाकई हैरान कर देने वाली है.
क्या है नई बात?
इटली के वैज्ञानिकों का यह कहना है कि वे लियोनार्डो दा विंसी की फेमस कृति मोनालिसा के रहस्य को सुलझाने के बेहद करीब हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने उस स्थान का पता लगा लिया है जहां मोनालिसा ने अंतिम सांसें ली थी. उस स्थान से उन्हें एक कंकाल मिला है जो निश्चित तौर पर विंसी की कृति मोनालिसा की मॉडल लीजा गेरार्डिनी का है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि फ्लोरेंस (इटली) के पुरातत्वविदों को एक कॉन्वेंट के फर्श में दबा एक कंकाल मिला है जिसे वैज्ञानिक लीजा गेरार्डिनी का मान रहे हैं. उल्लेखनीय है कि लीजा गेरार्डिनी एक अमीर सिल्क व्यापारी फ्रांसिस्को डेल जियोकोंडो की पत्नी थी. अधिकांश इतिहासकार इस बात पर एकमत हैं कि ‘द मोनालिसा’ में चित्रित महिला लीजा डेल गेरार्डिनी ही थी जो अपने पति की मौत के बाद नन बन गई थी. 63 वर्ष की उम्र में लीजा का निधन 15 जुलाई, 1542 को कॉन्वेंट ऑफ सेंट उर्सला में हुआ.
मोनालिसा के रहस्य को सुलझाना आसान नहीं
बीते साल से ही शोधकर्ता मोनालिसा के रहस्य को सुलझाने जैसे मिशन को अंजाम देने के लिए जुट गए थे. इस कॉंवेंट से उन्हें एक ताबूत भी मिला था जिसके विषय में यह माना जा रहा है कि यह ताबूत चिरनिद्रा में लीन मोनालीसा की अंतिम शैया है. इस ताबूत को ढूंढ़ना इतना भी आसान नहीं था क्योंकि यह इमारत की बेसमेंट के भी पांच फुट नीचे मिला है.
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हालांकि अभी वैज्ञानिक इस कंकाल को लेकर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं इसीलिए पहले हड्डियों के डीएनए की तुलना लीजा के दो बच्चों के अवशेषों से की जाएगी. अगर यह साबित हो गया कि यह लीजा का ही कंकाल है तो फॉरेंसिक विशेषज्ञ उसका चेहरा तैयार कर यह पता लगाएंगे कि वह 500 साल पहले विंसी द्बारा तैयार चित्र में जो महिला है उससे मिलता है या नहीं.
वैज्ञानिक द्वारा यह खोज मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान की सच्चाई जानने के लिए की जाएगी.
कौन है मोनालिसा
वर्ष 1503 और 1504 के बीच दा विंसी ने इस कृति को बनाना शुरू किया था. इटली में इस पेंटिंग को ला जियोकोंडा के नाम से जाना जाता है जिसे दुनिया की सबसे चर्चित पेंटिंग का दर्जा दिया गया है. इस पेंटिंग के सारे अधिकार फ्रांस की सरकार के पास हैं. वर्तमान में यह कृति विश्व प्रसिद्ध ‘लूवरे’ संग्रहालय में प्रदर्शित है.
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