परंपराओं और संस्कारों का गढ़ बन चुके भारत देश में कई ऐसी अजीबोगरीब मान्यताओं का अनुसरण किया जाता है जो सुनने में भले ही विचित्र लगें लेकिन उन्हें इतनी आत्मीयता के साथ स्वीकार किया जाता है कि उन पर ना चाहते हुए भी विश्वास होने लगता है. भारत में मॉनसून का देर से आना नई बात नहीं है. प्राय: हर वर्ष मॉनसून की आंख-मिचौली चलती रहती है. समय पर बारिश ना पड़ने के कारण एक तरफ जहां किसानों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है वहीं गर्मी और तपिश से आम जनता का भी हाल बेहाल हो जाता है.
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारतीय समाज में टोटकों को बड़ी प्रमुखता के साथ स्वीकार किया गया है इसीलिए मॉनसून को बुलाने के लिए भी कुछ अजीबोगरीब परंपराओं का निर्वाह किया जाता है. इस संदर्भ में मेंढक-मेंढकी का विवाह करवाना तो आपने सुना ही होगा लेकिन मध्य-प्रदेश में जिस तरीके से मॉनसून को बुलाने का कार्यक्रम चलाया गया वह अपने आप में बेहद हैरान करने वाला था.
इंदौर (मध्य-प्रदेश) के लोगों ने मॉनसून को जल्द से जल्द बुलाने के लिए जिंदा आदमी की शवयात्रा निकाली. राजकुमार सब्जी मंडी के व्यापारियों ने बड़े जोश के साथ कैलाश वर्मा नामक व्यक्ति की शवयात्रा निकाली. इस शवयात्रा में जहां बैंडबाजा भी बजाया जा रहा था वहीं एक व्यक्ति हाथ में मटकी उठाए आगे-आगे चल रहा था.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अहिल्याबाई होलकर के समय से यहां बारिश ना होने पर जीवित व्यक्ति की शवयात्रा निकालने की परंपरा विद्यमान रही है. इसीलिए जब भी मॉनसून नहीं आता या बारिश नहीं पड़ती तो यह टोटका अपनाया जाता है. अच्छी बारिश होने से किसानों की पैदावार भी अच्छी रहेगी और चारों तरफ खुशहाली आएगी, इसीलिए जीवित रहते हुए भी अपनी शवयात्रा निकालने में किसी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं होती.
कैलाश वर्मा पिछले पांच वर्षों से अर्थी पर लेटकर अपनी शवयात्रा निकालते रहे हैं. उन्हें इससे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती बल्कि उन्हें यह खुशी है कि वह बारिशा लाने का एक माध्यम बनते हैं.
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