यूं तो भारत के अधिकांश राज्य अपनी विशिष्ट पहचान के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं लेकिन जब राजस्थान की बात आती है तो यहां का खानपान, संस्कृति और पहनावा देश-विदेश के सभी लोगों को बेहद आकर्षित करता है. वैसे तो राजस्थान स्थित सभी बड़े पर्यटन स्थलों पर सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन यहां एक स्थान ऐसा भी है जो है तो बहुत खूबसूरत लेकिन अभी भी दुनिया की नजर में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत है.
भारत के सबसे बड़े थार मरुस्थल और संपूर्ण विश्व में ब्रह्माजी के एकमात्र मंदिर को सहेज कर रखने वाले राजस्थान के झालावाड़ जिले में बसे सूर्य मंदिर की खूबसूरती किसी भी अन्य जगह से नहीं जा सकती है. राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित इस जगह को पाटन या झालरपाटन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खोज का संपूर्ण श्रेय जालम सिंह नाम के व्यक्ति को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1796 में एक कृत्रिम झील के किनारे इसे बसाया था. झालावाड़ एक उपनगर है जिसका नाम मंदिरों की घंटियों के आधार पर रखा जाता है. कहा जाता है कि कुछ ही सदियों में यहां 108 मंदिरों का निर्माण किया गया, जिनमें सबसे आकर्षक मंदिर यहां का सूर्यमंदिर है. उड़ीसा के कोणार्क मंदिर की तर्ज पर बना झालावाड़ का यह सूर्य मंदिर अपनी तरह का एकमात्र ऐसा मंदिर है. इस सूर्य मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में किया गया था. जमीन से नापा जाए तो इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 96 फीट है. मंदिर का यह ऊंचा शिखर यहां आने वाले सैलानियों को खूब लुभाता है.
एलियन का रहस्य
मंदिर में अंदर और बाहर दोनों ही स्थान में बड़े-बड़े खम्भों का निर्माण किया गया है जो बाहरी क्षेत्र से लेकर भीतर के प्रार्थना कक्ष तक फैले हुए हैं. इन सभी खम्भों पर देवी-देवताओं के चित्रों को उकेरा गया है. निश्चित रूप से यह कारीगरी मंदिर की खूबसूरती में चार-चांद लगाता है. अब अगली बार आप दोस्तों या परिवार के साथ राजस्थान घूमने की योजना बनाएं तो अपने प्लान में झालावाड़ के सूर्य मंदिर को अवश्य शामिल करें.
अंत समय का अहसास करवाते हैं मृत्यु पूर्व होने वाले आभास
Mysterious places of India, Historical places of India, culture of Rajasthan, surya mandir of Jhalawad
Read Comments