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साल के अंत तक खुलेगा ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा !!

ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास से जुड़े ऐसे कई राज हैं जो आज भी वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लोगों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं हैं. विभिन्न ग्रहों के साथ-साथ चांद और सूरज को भी पनाह देने वाले इस ब्रह्मांड से जुड़े राज अब जल्द ही खुलने वाले है. वैज्ञानिकों का कहना है कि वह इस वर्ष के अंत तक हर उस सवाल का जवाब ढूंढ़ निकालेंगे जो मनुष्य की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है.


अंतरिक्ष विज्ञान और खगोलीय घटनाओं के विशेषज्ञों का यह विश्वास है कि हिग्स बोसॉन नाम के गॉड पार्टिकल की सहायता से वह इस वर्ष के अंत तक सभी रहस्यों से पर्दा उठा देंगे. फिलहाल वैज्ञानिक हिग्स बोसॉन, जिसे अंतरिक्ष की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार माना जाता है, से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी एकत्रित करने में जुटे हैं. इस काम में उनकी सहायता कर रही है लार्ज हेड्रोन कोलाइडर (एलएचसी) मशीन.


यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च के निदेशक रोल्फ डिटर ह्यूयर का कहना है कि एलएचसी को अपग्रेड करने के लिए इसे साल के अंत तक दो साल के लिए बंद कर दिया जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि मशीन को बंद करने से पहले गॉड पार्टिकल दुनिया के सामने पेश कर दिया जाएगा. डिटर का कहना है कि इस वर्ष के अंत तक यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि इस पार्टिकल का कोई अस्तित्व है भी या नहीं. अगर यह कण मिल गया तो वैज्ञानिक पिछले 50 वर्षों से जो खोज कर रहे हैं वह पूरी हो जाएगी.


भौतिक वैज्ञानिकों का तो यह स्पष्ट कहना है कि गॉड पार्टिकल का अस्तित्व है, लेकिन इसे अभी तक ढूंढ़ा नहीं जा सका है. दशकों से वैज्ञानिक इस गॉड पार्टिकल की खोज में जुटे हैं लेकिन अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है. अगर गॉड पार्टिकल का अस्तित्व सिद्ध हो गया तो भविष्य में ब्रह्मांड को लेकर होने वाले शोध आसान हो जाएंगे.


उल्लेखनीय है कि अभी तक वैज्ञानिक भी ब्रह्मांड से जुड़ी केवल 5 प्रतिशत ही जानकारी एकत्रित कर पाए हैं और जिस शेष 95% के बारे में वे नहीं जानते उस बाकी के हिस्से को डार्क एनर्जी या डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है.


आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एलएचसी पृथ्वी की सतह से 17 मील नीचे काम कर रही है. यह अपने दायरे में आने वाले कणों को बहुत तेजी से घुमाती है. डिटर का कहना है कि पहली बार इसे आम लोगों के लिए खोला जाएगा जिसे फ्रेंच-स्विस बॉर्डर पर लोग सुरंग के रास्ते से जाकर देख सकेंगे.


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