सात सुरों से बना संगीत व्यक्ति को आत्मिक सुकून पहुंचाने में बहुत सहायक सिद्ध होता है. इतना ही नहीं यह आपके खराब मूड को भी फिर से तरोताजा करने के लिए सहायक होता है. लेकिन संगीत की जिस खूबी के बारे में आप शायद ना जानते हों वह इन सबसे कहीं अधिक मददगार और हैरान कर देने वाली है.
क्या आप जानते हैं कि संगीत, जिसे एंटी-डिप्रेशन के रूप में भी जाना जाता है, अब अनेक रोगों को दूर करने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है. आपको यकीन ना हो तो हम आपको ऐसे संगीतज्ञ, श्री पुरुषोतम शर्मा के बारे में बता देते हैं जो अपने शास्त्रीय संगीत की मधुर धुनों से बीमार व्यक्तियों के रोग दूर कर रहे हैं.
पुरुषोत्तम शर्मा के घर बहुत से लोग अपनी कई बीमारियां जैसे तनाव, अनिद्रा, ब्लड-प्रेशर का इलाज करवाने आते हैं. उल्लेखनीय है कि वह अपने घर आने वाले रोगियों को न तो कोई दवा देते हैं और ना ही कोई व्यायाम करवाते हैं. वह केवल एकाग्रता के साथ उस संगीत को सुनते हैं जो पुरुषोत्तम शर्मा उन्हें कहते हैं.
पुरुषोत्तम शर्मा का तो यह भी कहना है कि इन रागों से रोगी की बीमारियां तो ठीक होंगी ही साथ ही उसके आत्मविश्वास में भी अत्याधिक बढ़ोत्तरी होती है. अपने संगीत की इस खूबी के बारे में उन्हें तब पता चला जब उन्होंने इस तरीके का प्रयोग अपनी पत्नी पर किया. शास्त्रीय संगीत की कई पुरानी किताबों से रागों से होने वाले इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद संगीतज्ञ शर्मा ने यह थेरैपी शुरू की.
संगीतज्ञ पुरुषोत्तम शर्मा के अनुसार हर राग में रोग निरोधक क्षमता मौजूद होती है. राग पूरिया धनाश्री अनिद्रा दूर करता है, वहीं राग मालकोस तनाव को दूर भगाता है. राग शिवरंजिनी मन को शांत रखकर सुख की अनुभूति देता है और राग मोहिनी आत्मविश्वास बढ़ाता है, राग भैरवी ब्लड प्रेशर और पूरे तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित रखता है, राग पहाड़ी स्नायु तंत्र को ठीक करता है. राग दरबारीकान्हड़ा तनाव दूर करता है तो राग अहीर भैरव व तोड़ी उच्च रक्तचाप के लिए कारगर है. दरबारी कान्हड़ा अस्थमा, भैरवी साइनस, राग तोड़ी सिरदर्द और क्रोध से भी निजात दिलाता है.
हालांकि एलोपैथी में रोगों को राग से दूर करने जैसे किसी भी सिद्धांत को मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन व्यवहारिकता में बहुत से ऐसे रोग जैसे तनाव, अनिद्रा और अवसाद से निजात पाई जा सकती है.
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