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कपड़े सुखाने हों या धोने, फायर ब्रिगेड है ना !!

fireफायर ब्रिगेड किस काम आती है यह तो हम सभी को पता है. ऊंची-ऊंची इमारतों में लगी आग या फिर दूर-दूर तक फैली भयानक आग को बुझाना हो, ऐसी जगहों पर फायर ब्रिगेड ही सबसे अधिक सहायक सिद्ध होती है. फायर ब्रिगेड के सदस्यों की हिम्मत के तो कहने ही क्या वह अपनी जान की परवाह किए बिना निकल पड़ते हैं आग में फंसे लोगों की जान बचाने. आग बुझाने के अलावा फायर ब्रिगेड उस समय भी बहुत उपयोगी सिद्ध होती है जब कोई व्यक्ति ऊंची इमारतों में फंस जाता और उसे नीचे उतारना होता है. इमारतों से लोगों को उतारना तक तो ठीक है लेकिन जरा सोचिए अगर फायर ब्रिगेड को लोगों की अंगुली में फंसी अंगूठी को बाहर निकालने के लिए बुलाया जाए तो ?


जी हां, लंदन की फायर ब्रिगेड आजकल ऐसे ही हालातों से गुजर रही है जहां उन्हें कभी घर से भाग चुके कुत्ते को ढूंढ़ने के लिए बुलाया जाता है तो कभी अंगुली में फंसी अंगूठी को निकालने के लिए. इतना ही नहीं छत पर सूख रहे कपड़ों को उतारने के लिए लंदन के लोग फायर ब्रिगेड को फोन घुमा देते हैं. फायर ब्रिगेड की बदलती कार्यशैली में एक किस्सा तो बेहद हास्यास्पद रहा. हुआ यूं कि एक महिला ने सबसे पहले खुद को अलमारी में बंद कर लिया और फिर फायर ब्रिगेड को बचाव के लिए फोन कर दिया. फायर ब्रिगेड के पहुंचने तक वह अलमारी में ही बैठी रही और टाइम पास के लिए सिगरेट पीती रही. कुछ अपराधी तो ऐसे भी हैं जो अपनी हथकड़ी तोड़ने के लिए भी फायर ब्रिगेड को फोन करते हैं.


लंदन के लोगों द्वारा दिनोंदिन बढ़ते ऐसे मजाक के कारण अब फायर ब्रिगेड भी यह समझ नहीं पा रहा कि वह क्या करे. फोन तो आते हैं पर वह यह निश्चय नहीं कर पाते कि वे मुसीबत में पड़ने के लिए जाएं या मुसीबत समाप्त करने के लिए जाएं.


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