ऐसा माना जाता है कि एक खास तरह की प्रतिभा भगवान की देन होती है जो खास तरह के लोगों में पाई जाती है. इस तरह के प्रतिभावान लोग जीवन में कुछ ऐसे काम कर जाते हैं जिसे जिन्दगी भर याद किया जा सकता है. महज 12 वर्ष की उम्र में आईआईइटी प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले बिहार भोजपुर जिले के बखोरापुर गांव के सत्यम कुमार ने वह मुकाम हासिल कर लिया हैं जिसे पाने के लिए अन्य छात्र दिन रात जद्दोजहद करते हैं. इससे पहले ये रिकॉर्ड दिल्ली के चहल कौशिक के नाम था, जिन्होंने 14 साल की उम्र में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की थी.
छोटे से गांव बखोरापुर निवासी सिद्धनाथ सिंह के पुत्र सत्यम कुमार का जन्म 20 जुलाई, 1999 में हुआ. उनके माता पिता शिक्षा के मामले में काफी पीछे थे. दोनों अपनी घर-गृहस्थी से ज्यादा कुछ नहीं जानते थे लेकिन सत्यम की बुद्धि को परखने में उनके चाचा और बुआ ने काफी योगदान दिया. उनके चाचा सत्यम को गांव से राजस्थान के कोटा शहर लेकर आए, जो आईआईटी की तैयारी करने के मामले मशहूर शहर माना जाता है.
महज पांच वर्ष की उम्र में रामायण और गीता जैसे महाकाव्यों को कंठस्थ करने वाले सत्यम की खूबियों और कमियों को पहचाने वाले रेजोनेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरके वर्मा थे. आरके वर्मा सत्यम के चाचा के शिक्षक रह चुके हैं तथा सत्यम को उनके चाचा ने ही आरके वर्मा से मिलवाया था. आरके वर्मा ने सत्यम की प्रतिभा को परख लिया था इसलिए उसे आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सहायता की.
विज्ञान में रूचि रखने वाले सत्यम को राजस्थान के शिक्षा बोर्ड के सहयोग से सीधे आठवीं कक्षा में दाखिला मिला. इसके बाद सत्यम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 10वीं, फिर 12वीं बोर्ड की परीक्षा पास की और इस साल आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में बैठे. सत्यम ने इस परीक्षा को पास करके नया रिकॉर्ड तो बनाया ही है, लेकिन वे अपनी रैंकिंग के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं.
बिहार कई मामलों में अभी भी पिछड़ा राज्य है लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी प्रतिभाएं बाहर निकलकर आ जाती हैं जिससे बिहार का सिर गर्व से काफी उंचा उठ जाता है. सत्यम से पहले बिहार की प्रतिष्ठा को चार-चांद लगाने वाले ‘कौन बनेगा करोडपति’ के विजेता सुशील कुमार भी रहे हैं जिन्होंने पांच करोड़ की ईनामी राशि जीतकर यह उम्मीद जगाई थी कि एक आम व्यक्ति भी करोड़पति बन सकता है. सत्यम कुमार की यह सफलता भी ढेर सारी उम्मीद की किरण जगाती है.
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