एशियाई देशों में अंधविश्वास एक बेहद प्रभावी भूमिका में नजर आता है. प्राय: देखा जाता है कि आस्था या फिर अशिक्षा के कारण लोग अगर कोई तर्क नहीं निकाल पाते तो वह सामने हो रही घटनाओं को दैवीय चमत्कार या फिर प्रकोप कहने लगते हैं. यही कारण है कि असमान्य शारीरिक संरचना लिए जो बच्चे जन्म लेते हैं कभी उन्हें देवी या देवता का रूप मान लिया जाता है तो कभी इसी अंधविश्वास के चलते उन्हें सामाजिक तौर पर नकार दिया जाता है.
हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया है जिसके छ: पैर हैं. निश्चित तौर पर यह घटना किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकती है. हर बार की तरह स्थानीय लोग अंधविश्वास के आधार पर इस बच्चे को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
जबकि डॉक्टरों का यह कहना है कि कुछ जुड़वा बच्चे आम बच्चों की तरह जन्म नहीं लेते. गर्भ में रहने के दौरान दोनों में से एक का विकास तो हो जाता है लेकिन दूसरे भ्रूण का विकास पूरी तरह रुक जाता है जिस कारण वह गर्भ में पल रहे दूसरे भ्रूण पर निर्भर हो जाता है, समय के साथ-साथ एक भ्रूण तो विकास करने लगता है लेकिन दूसरे का विकास रुक चुका होता है इसीलिए वह धीरे-धीरे विकासशील भ्रूण के शरीर में अपना स्थान बनाने लगता है. ऐसे जुड़वा बच्चों में से एक तो सामान्य होता है लेकिन जो दूसरा भ्रूण उसके शरीर में जगह बना लेता है उसे पैरासाइटिक या परजीवी कहा जाता है.
एक गुम हो चुका शहर जहां जमीन में गड़े हैं हीरे-जवाहरात
सिंध के एक अस्पताल में जन्में इस बच्चे को अब कराची के एक बड़े अस्पताल में शिफ्ट कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे के शरीर को सामान्य बनाने के लिए लिए होने वाला ऑपरेशन बेहद महंगा और खतरनाक है. इस ऑपरेशन में समय तो बहुत अधिक लगेगा ही लेकिन साथ-साथ बच्चे की जान को भी लगातार खतरा बना रहेगा. पांच वरिष्ठ और अनुभवी डॉक्टरों का एक दल जीवित बच्चे से मृत बच्चे के शव को अलग करेगा.
इस बच्चे के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसीलिए वह इस ऑपरेशन का खर्चा नहीं उठा सकते इसीलिए बच्चे के ऑपरेशन पर होने वाला सभी खर्च अस्पताल ही उठाएगा.
प्यार करने वालों की सुरक्षा की गारंटी देते हैं यह लव कमांडो
Read Hindi News
Read Comments