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गुमनाम क्रांतिकारियों की याद कराता है यह संग्रहालय !!

museumअंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद करवाने के लिए ना जाने कितने ही साहसी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. जिस उम्र में अपने भविष्य से जुड़े सुनहरे सपने युवाओं को घेरे रहते हैं, उस अवस्था में ना जाने कितने ही शूरवीरों ने देश को स्वराज दिलवाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. जिनमें से कुछ तो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए लेकिन ज्यादातर देशप्रेमियों के सर्वोच्च बलिदान पर किसी का ध्यान नहीं गया. ऐसे ही गुमनाम चेहरों को पहचान दिलवाने के लिए जालंधर में एक संग्रहालय स्थापित किया गया है जिसका एकमात्र उद्देश्य देश के लिए शहीद हुए भूले-बिसरे वीरों से अन्य लोगों को परिचित करवाना है.


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इस संग्रहालय में उन स्वतंत्रता सेनानियों की यादों, उनसे जुड़े प्रत्येक वस्तुओं को बड़ी कुशलता से सहेज कर रखा गया है. ऐसे वीर जिनका आजादी की लड़ाई में कहीं भी जिक्र नहीं मिलता, उनकी यादों को इस संग्रहालय में पूरे आदर और सम्मान के साथ संभाल कर रखा गया है. भले ही इन शहीदों को भारत के गौरवमयी इतिहास में स्थान ना दिया गया हो लेकिन इससे उनके कृत्यों का महत्व कम नहीं होता. यही कारण है कि उन सच्चे सिपाहियों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए लिए जालंधर स्थित देश भगत यादगार कमेटी की ओर से देश भगत यादगार हॉल में एक संग्रहालय स्थापित किया गया है, जिसमें 1857 से लेकर 1947 तक जितने भी आंदोलन हुए उनसे जुड़े शहीदों की तस्वीरें रखी गई हैं. इस कमेटी की महासचिव डॉ. रघुवीर कौर का कहना है कि युवाओं के जहन में इन शहीदों की याद और उनके साहस को स्थान दिलवाने के लिए और उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए कमेटी द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है. इस संग्रहालय में सिपाही विद्रोह, कूका आंदोलन, बंगाली, मराठी और कानपुर के क्रांतिकारियों की तस्वीरें हैं. इसमें शहीद-ए-आजम भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह द्वारा चलाए गए आंदोलन पगडी संभाल जट्टा के नायकों की भी तस्वीरें हैं.

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