दुनियां में जहां एक ओर धनवान व्यक्तियों का बैंक-बैलेंस और अधिक बढ़ता जा रहा है, वहीं निर्धनता का स्तर भी कम होने का नाम नहीं ले रहा. यद्यपि भारत जैसे प्रगतिशील देश अभी अपने नागरिकों के आर्थिक स्तर को सुधारने का प्रयत्न कर रहे हैं लेकिन फिर भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर पाने में भी असमर्थ हैं. हां, यह बात और है कि इन लोगों की सहायता के लिए सरकार या फिर निजी स्तर पर कई कार्यक्रमों का संचालन किया जाता रहा है, जिसके चलते वंचित वर्ग को थोड़ी ही सही राहत अवश्य मिल जाती है.
लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि गरीबी का दंश केवल प्रगतिशील देशों को ही अपनी चपेट में ले रहा है तो हो सकता है आपको यह जानकर हैरानी हो लेकिन हंगरी (यूरोप) में गरीबी का स्तरकाफी अधिक है. यहां पर भी बड़ी संख्या में लोग जीवन के लिए आवश्यक सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यूरोपियन देशों में बहुत अधिक ठंड पड़ती है. इतनी कि ठंड के कारण कितने ही लोग हर वर्ष अपनी जान गंवा देते हैं.
ठंड में दूसरों की सहायता करने के उद्देश्य से कंबल और चादरों का दान करने जैसी बात तो आपने अवश्य सुनी होगी लेकिन बढ़ती सर्दी में निर्धनों की सहायता करने के लिए बुडापेस्ट का एक बैंक अपने नोट जला रहा है ताकि उनकी सेंक से निर्धन लोग सर्दी से बचाव कर सकें.
बुडापेस्ट स्थित हंगरी का सैंट्रल बैंक हर वर्ष लगभग 40-50 टन पुराने नोटों को जलाता है. इस बार उन्होंने निर्णय किया कि इन नोटों को चैरेटी में दान कर गरीबों की सहायता की जानी चाहिए. अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बैंक इन पुराने नोटों की गड्डियों को एक विशेष प्रकार के ईंधन (भूरे कोयले की तरह) में तब्दील कर रहा है ताकि इस ईंधन से गरीब लोगों को सर्दी से राहत प्रदान की जा सके.
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