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फ्रांस के लोग भी समझते हैं रामायण का महत्व !!

ramayanविश्व पटल पर भारत को सांस्कृतिक गुरू की उपाधि प्रदान की गई है. भारत की संस्कृति, इसकी अनूठी परंपराएं अन्य राष्ट्रों के लिए कभी प्रेरणा स्त्रोत तो कभी मार्गदर्शक बनती रही हैं. भारत में अनेक ग्रंथ और उपनिषदों की रचना की गई है जो समय-समय पर एक विश्वसनीय पथप्रदर्शक की भूमिका निभाते रहते हैं. उल्लेखनीय हैं कि भारत में लिखे गए यह ग्रंथ ना सिर्फ भारतीयों को बल्कि दुनियां के अन्य देशों को भी बेहद प्रभावित करते हैं. यही कारण है कि जब विदेशी लोग भारत भ्रमण पर आते हैं तो उन्हें यहां की संस्कृति तो आकर्षक लगती ही है साथ ही वह खुद को भक्तिमय होने से भी रोक नहीं पाते.


एक मुख्य बात यह भी है कि भारतीयों के नैतिक और सामाजिक मूल्यों में सुधार लाने और उन्हें अपनी धरोहरों से परिचित करवाने के उद्देश्य से रचे गए यह ग्रंथ विदेशी लोगों को भी बेहद उपयोगी लगने लगे हैं. इसीलिए वे भारतीय भाषाओं में रची गई इन रचनाओं को अपनी भाषा में अनुवादित करने के लिए उत्साहित रहते हैं ताकि उनके लिए इसमें दिए गए निर्देशों को समझना सरल हो जाए.


उल्लेखनीय है कि अब भारतीय साहित्य की विश्व प्रसिद्ध रचना रामायण को भी फ्रांसीसी भाषा में प्रकाशित किया गया है. रामायण को फ्रांसीसी भाषा में अनुवादित करने वाली लेखिका, संपादक और प्रकाशक डाएने दे सेलीयर्स का कहना है कि इस काम को पूरा करने में उन्हें दस वर्ष से भी अधिक का समय लगा. उन्हें खुशी है कि उनकी मेहनत सफल हुई और रामायण बाई वाल्मीकि, के फ्रांसीसी संस्करण की रचना संभव हो सकी.


सात किताबों के इस संग्रह में 16वीं से 19वीं सदी के दौरान रामायण से जुड़े लघुचित्रों को भी शामिल किया गया है. सेलीयर्स का मानना है कि रामायण एक संपूर्ण साहित्यिक रचना है,  क्योंकि यह दार्शनिक और आध्यात्मिक नजरिए को एक साथ प्रस्तुत करता है. इसके अलावा इसमें मानवीय भावनाओं और संबंधों की भी सटीक व्याख्या की गई है. यह एक उत्कृष्ट काव्य है.


सेलियर्स के लिए इस कार्य को पूरा करना इतना आसान नहीं रहा. अपनी रचना को पूरा करने के लिए उन्हें भारत, यूरोप, अमेरिका, पाकिस्तान, कतर, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के कई संग्रहालयों से जानकारी जुटानी पड़ी.


जब वर्ष 1997 में पहली बार सेलियर्स भारत आई थीं तो उन्हें तमिलनाडु और केरल जाने का अवसर प्राप्त हुआ. वह भारत की सांस्कृतिक विविधता और लोगों में इस ग्रंथ की रुचि से काफी प्रभावित हुईं जिसके बाद उन्होंने रामायण को फ्रांसीसी भाषा में अनुवादित करने की योजना बना ली.


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