यूं तो हमारी पांचो इंद्रियां अपने आप में अद्भुत और विशेष महत्व रखती हैं लेकिन हमारी नाक इतनी ताकतवर है कि जरा सी दुर्गंध जो भले ही कितनी दूर से ही क्यों ना आ रही हो उसे फटाफट पहचान लेती है. उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पर खड़े हैं और वहां किसी व्यक्ति ने पुराने मोजे पहने हैं तो आप बहुत ही कम समय में यह समझ जाएंगे कि दुर्गंध किस चीज की है और उसका स्त्रोत कौन है.
नाक की विशेषता बस यहीं समाप्त नहीं होती क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई भी प्राणी अपनी नाक से कई किस्म की सुगंध या दुर्गंध ना सिर्फ सूंघ सकता है बल्कि उनमें अंतर और उनकी पहचान भी कर सकता है.
यह तो सभी जानते हैं कि हमारी नाक काफी सारी सुगंधों और दुर्गंधों में अंतर कर सकती है लेकिन इनकी संख्या कितनी है और यह काम कैसे होता है इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान के बाद इस प्रश्न का उत्तर भी खोज निकाला है.
वैज्ञानिकों ने यह जानने में सफलता हासिल कर ली है कि हमारी नाक 350 तरह के अभिग्राहकों में एक समान या फिर विभिन्न गंधों की पहचान किस तरह करती है.
जर्मनी के बोचम शहर में स्थित रूहर यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने एक अनुसंधान में इस यह पता लगा लिया है कि नाक किस प्रकार गंध की पहचान करती है. यूनिवर्सिटी के सेल फिजियोलॉजिस्ट लिएन गेलिस का कहना है कि यह अभिग्राहक एक ताले के समान हैं जो सही चाबी से ही खुलते हैं.
कम्प्यूटर की सहायता से यूनिवर्सिटी टीम ने यह पूर्वानुमान लगाने में सफलता प्राप्त की है कि गंध के अणु किसी विशेष अभिग्राहक को सक्रिय करते हैं या नहीं. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता का कहना है कि यूनिवर्सिटी के बायोफिजिक्स के प्रोफेसर स्टेफेन वोल्फ और केलॉस गेरवेर्ट ने खुबानी का प्रयोग कर वर्षों से चली आ रही इस उलझन को समाप्त करने की कोशिश की है, जिसमें उन्हें बहुत हद तक सफलता प्राप्त हुई है. खुबानी की गंध के लिए मानव घ्राण अभिग्राहक(मैन ओल्फैक्टरी रेसेप्टोर) के कम्प्यूटर मॉडल की रचना की गई. इस मॉडल की सहायता से वे यह देखना चाहते थे कि ये अभिग्राहक खुबानी की सुगंध को पहचानते हैं या नहीं. वैज्ञानिकों ने पाया कि खुबानी की गंध केवल कुछ या फिर संबंधित अभिग्राहकों को ही सक्रिय करती है जिसके बाद यह यह स्पष्ट हुआ कि जब हम किसी गंध को सूंघते हैं तो केवल उसी से संबंधित अभिग्राहक ही सक्रिय हो पाते हैं परिणामस्वरूप हम यह आसानी से समझ जाते हैं कि वह गंध किस चीज की है.
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