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सिग्रेट पीने के शौकीन होते हैं गरीब लोग !!

हमारा समाज गरीब और अमीर जैसी दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है. अर्थव्यवस्था के लगातार प्रगति करने के बावजूद इन दो श्रेणियों के बीच असमानता रूपी खाई निरंतर बढ़ती जा रही है. जहां एक तरफ वे लोग हैं जिन्होंने कभी आर्थिक तंगी नहीं देखी जिसके परिणामस्वरूप वे आराम और विलासिता भरे जीवन को ही अपनी मूलभूत आवश्यकता समझने लगे हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य ही अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ति करना है. कुछ लोग अपने इस उद्देश्य को पूरा कर लेते हैं लेकिन कुछ लोग पूरे दिन की जद्दोजहद के बावजूद आधे पेट भोजन ही प्राप्त कर पाते हैं. ऐसे में सुख-सुविधाओं से भरे जीवन की कल्पना करना भी उनके लिए एक स्वप्न ही होता है.


smokingएशियाई देश, जो आज भी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं, उनके संदर्भ में यह माना जाता है कि यहां कम आय में जीवन यापन करने वाले परिवार अपने खर्च और बजट में कोई भी गैर-जरूरी समान या फिजूल का व्यय शामिल नहीं करते. इसके विपरीत वे लोग जिनके पास धन की कोई कमी नहीं है वह सिग्रेट-शराब जैसी अनैतिक चीजों को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण और बड़ा हिस्सा बना लेते हैं.



लेकिन शायद यह धारणा भी अन्य निरर्थक धारणाओं की तरह की प्रचलित हो गई है क्योंकि वास्तविकता यह है कि एशियाई देशों में गरीब लोग सबसे अधिक खर्च सिग्रेट जैसे नशे पर करते हैं.


एक सरकारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में ज्यादातर गरीब लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की बजाय सिग्रेट और नए-नए कपड़ों पर ज्यादा खर्च करते हैं.


जकार्ता नगर परिषद के प्रवक्ता फेरियल सोफयान का कहना है कि शहर के गरीब परिवारों का 30 प्रतिशत से ज्यादा धन परिवहन, कपड़ों और रहने के लिए घर पर खर्च होता है, इसके अलावा सिगरेट पर होने वाला खर्च उनके दैनिक खर्च को महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित करता है.


इंडोनेशिया की केंद्रीय सांख्यिकी एजेंसी बदन पुसत स्टेटिस्टिक्स द्वारा संपन्न इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि चावल के बाद सिग्रेट दूसरी ऐसी महत्वपूर्ण वस्तु है  जिस पर गरीब परिवार सबसे ज्यादा धन व्यय करते हैं.


सन 2010 में हुई जनगणना के अनुसार जकार्ता में 96 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या 3.75 प्रतिशत है. फेरियल सोफयान का कहना है कि अगर अधिकांश गरीब परिवार कपड़ों और सिग्रेट पर अधिक खर्च कर रहे हैं तो यह साफ बताता है कि वह अपनी जरूरी चीजों में कटौती कर रहे हैं और उनका यह खर्च पूरी तरह नकारात्मक है. पारिवारिक सदस्यों की गिरती सेहत इसी का परिणाम है, जिसके फलस्वरूप अतिरिक्त खर्च में भी वृद्धि होती है.

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